राष्ट्रीय खेल दिवस आज, पीएम मोदी ने इस तरह किया याद मेजर ध्यानचंद को

Atul Saxena
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद (Mejor Dhyanchand) की जन्म जयंती आज पूरा देश राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मना रहा है।  जगह जगह आयोजन हो रहे है। मेजर ध्यानचंद को श्रद्धांजलि दी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने भी अपने “मन की बात” कार्यक्रम में मेजर ध्यानचंद को श्रद्धांजलि दी।  उन्होंने कहा कि आज, जब हमें देश के नौजवानों में हमारे बेटे-बेटियों में, खेल के प्रति जो आकर्षण नजर आ रहा है, माता-पिता को भी बच्चे अगर खेल में आगे जा रहे हैं तो खुशी हो रही है, ये जो ललक दिख रही है न मैं समझता हूँ, यही मेजर ध्यानचंद जी को बहुत बड़ी श्रद्धांजलि है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “मन की बात” कार्यक्रम में मेजर ध्यानचंद को याद किया।  विश्व में भारत की हॉकी का परचम लहराने वाले मेजर ध्यानचंद के खेल कौशल को याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम सबको पता है आज मेजर ध्यानचंद जी की जन्म जयंती है और हमारा देश उनकी स्मृति में इसे राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाता भी है।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं सोच रहा था कि शायद, इस समय मेजर ध्यानचंद जी की आत्मा जहां भी होगी, बहुत ही प्रसन्नता का अनुभव करती होगी। क्योंकि दुनिया में भारत की हॉकी का डंका बजाने का काम ध्यानचंद जी की हॉकी ने किया था और चार दशक बाद, क़रीब-क़रीब 41 साल के बाद, भारत के नौजवानों ने, बेटे और बेटियों ने हॉकी के अन्दर फिर से एक बार जान भर दी।

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आज, जब हमें देश के नौजवानों में हमारे बेटे-बेटियों में, खेल के प्रति जो आकर्षण नजर आ रहा है, माता-पिता को भी बच्चे अगर खेल में आगे जा रहे हैं तो खुशी हो रही है, ये जो ललक दिख रही है न मैं समझता हूँ, यही मेजर ध्यानचंद जी को बहुत बड़ी श्रद्धांजलि है।

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पीएम मोदी ने कहा कि और कितने ही पदक क्यों न मिल जाएं, लेकिन जब तक हॉकी में पदक नहीं मिलता भारत का कोई भी नागरिक विजय का आनंद नहीं ले सकता है और इस बार ओलंपिक में हॉकी का पदक मिला, चार दशक के बाद मिला। आप कल्पना कर सकते हैं मेजर ध्यानचंद जी के दिल पर, उनकी आत्मा पर, वो जहां होंगे, वहां, कितनी प्रसन्नता होती होगी।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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