नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। UGC द्वारा छात्रों को बढ़ा दी गई है। उच्च शिक्षा (Higher education) के छात्र भारतीय और विदेशी विश्वविद्यालय से संयुक्त डिग्री हासिल करने की पात्रता रखेंगे। डिग्री कोर्स (Degree Course) को लेकर दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं। यूजीसी (UGC) का कहना है कि इससे छात्रों के भविष्य को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी और उच्च शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण भी होगा। नए नियम के तहत छात्र एक ही समय में एक भारतीय विश्वविद्यालय (Indian University) और एक विदेशी विश्वविद्यालय (foreign university) से 2 डिग्री हासिल कर सकेगी। इसके लिए 19 अप्रैल को जारी किया गया है।
नोटिफिकेशन के मुताबिक यूजीसी अध्यक्ष का कहना है कि डिग्री और संयुक्त डिग्री कार्यक्रम विनियम 2022 की पेशकश की गई है। इसके सेंट्रल डिग्री के लिए छात्रों को कार्यक्रम के हिस्से के रूप में विदेशी विश्वविद्यालय से अपने क्रेडिट का 30% पूरा करना होगा। साथ ही डुएल डिग्री कार्यक्रम के तहत छात्रों को अपनी क्रिएट के 30% से अधिक विदेशी विश्वविद्यालय में पूरे करने होंगे। डिग्री भारतीय विश्वविद्यालय द्वारा दी जाएगी जबकि क्रेडिट मान्यता का प्रमाण पत्र विदेशी विश्वविद्यालय द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा। वहीं भारतीय और विदेशी दोनों संस्थान छात्रों को पूरा की रिपोर्ट के आधार पर ही डिग्री देंगे।
इसके साथ ही भारतीय विदेशी विश्वविद्यालय के पास ट्रेनिंग प्रोग्राम जॉइंट डिग्री प्रोग्राम में डुएल डिग्री प्रोग्राम की पेशकश का विकल्प होगा। दोनों विश्वविद्यालय द्वारा कौन से प्रोग्राम को कब और कैसे दिया जाना है। इसके विवरण तय किए जाएंगे। पहली बार शुरू की गई Dual degree, एक छात्र को एक ही अनुशासन के पाठ्यक्रम के लिए और एक ही स्तर पर दो डिग्री अर्जित करने में सक्षम बनाएगी। छात्रों को अपने कोर्स क्रेडिट का कम से कम 30 प्रतिशत विदेशी संस्थान में पूरा करना होगा।
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उदाहरण के लिए, एक भारतीय विश्वविद्यालय में बीए अंग्रेजी कार्यक्रम में नामांकित एक छात्र किसी विदेशी संस्थान में अपने पाठ्यक्रम का एक हिस्सा कर सकता है। पाठ्यक्रम के अंत में, छात्र को भारतीय और विदेशी संस्थानों द्वारा अलग-अलग और एक साथ दो डिग्री प्रदान की जाएगी। यूजीसी ने स्पष्ट किया है कि इसे किसी भी तरह से अलग-अलग विषयों या दो अलग-अलग स्तरों पर विषय क्षेत्रों में दो डिग्री प्रोग्राम के रूप में नहीं माना जाएगा। इसका मतलब है कि इस व्यवस्था के तहत बीए अंग्रेजी और बीएससी भौतिकी, या बीएससी गणित और एमएससी जीव विज्ञान में दोहरी डिग्री की अनुमति नहीं होगी।
कार्यक्रम ऑनलाइन मोड में नहीं किया जाएगा। इसके लिए भारतीय और विदेशी विश्वविद्यालय के बीच संयुक्त कार्यक्रम केवल भौतिक मोड में ही उपलब्ध कराए जाएंगे। ऑनलाइन और ओडीएल पाठ्यक्रम और सीखने के तरीके के लिए नियम लागू नहीं होंगे। छात्रों को कार्यक्रम के लिए दोनों विश्वविद्यालय में शारीरिक रूप से उपस्थित होना अनिवार्य होगा। यूजीसी के निर्देश की मानें तो भारतीय विश्वविद्यालय कॉलेज और उचित संस्थान जिनके पास NAAC 3.01 या उससे अधिक की डिग्री है।
साथ ही QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग या टाइम्स हायर एजुकेशन रैंकिंग में शीर्ष 4 विश्वविद्यालयों में शामिल है। इसके अलावा एनआईआरएफ रैंकिंग में शीर्ष 100 में सूची बंद है। ऐसे कॉलेज और विश्वविद्यालय कार्यक्रम की पेशकश करने के लिए पात्र होंगे। वही इसके लिए यूजीसी द्वारा भारत में उच्च शिक्षा को अधिक और किफायती करना है। कार्यक्रम के विवरण पर चर्चा के बाद दोनों विश्वविद्यालय द्वारा पाठ्यक्रम के लिए फीस स्ट्रक्चर तय किए जाएंगे। भारतीय विश्वविद्यालय को सुनिश्चित करना होगा कि NEP 2020 को ध्यान में रखते हुए फीस को उचित रखें। ताकि कार्यक्रम सभी छात्रों के लिए उपलब्ध हो सके।
दोहरी डिग्री के विपरीत, संयुक्त डिग्री कार्यक्रमों के मामले में एक डिग्री प्रमाणपत्र होगा। जिसमें दोनों संस्थानों के नाम होंगे। पाठ्यक्रम को सहयोगी संस्थानों द्वारा संयुक्त रूप से डिजाइन किया जाएगा। भारत के छात्रों को विदेशी संस्थान में अपने पाठ्यक्रम क्रेडिट का कम से कम 30 प्रतिशत पूरा करना होगा। संयुक्त डॉक्टरेट कार्यक्रमों के मामले में छात्रों के पास भाग लेने वाले दोनों संस्थानों में एक पर्यवेक्षक होगा और सहयोगी संस्थानों में कम से कम एक सेमेस्टर पूरा करना होगा। प्रतिभागी संस्थानों द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किए गए ढांचे का पालन करते हुए छात्र एक एकल थीसिस प्रस्तुत करेंगे।