Wheat Export Ban : केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, गेहूं निर्यात पर तत्काल प्रभाव से लगाई रोक, जाने क्या है प्रमुख वजह

Kashish Trivedi
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। रूस यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के बीच के देशों में गहराई खाद्यान्न संकट के बीच भारतीय गेहूं (indian wheat) की मांग बढ़ गई है। देश के अंदर गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक दाम पर बिक रहा है। जिसके बाद केंद्र सरकार द्वारा शुक्रवार देर रात से तत्काल प्रभाव से गेहूं के निर्यात पर रोक (Wheat export ban)  लगा दी गई है। दरअसल देश में गेहूं के उत्पादन कम होने की वजह को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। इसके साथ ही एक तरफ जहां किसानों (farmers) को बड़ा झटका लगा है। वहीं दूसरी तरफ व्यापारी और एक्सपोर्टर्स (exporters) को भी आर्थिक हानि देखने को मिल रही है।

बढ़ती घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने के उपायों के तहत सरकार द्वारा तत्काल प्रभाव से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के एक दिन बाद, केंद्रीय खाद्य, वाणिज्य और कृषि सचिवों ने अचानक निर्णय की व्याख्या करने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। गेहूं निर्यात रोकने के पीछे सबसे बड़ा कारण पिछले साल से कम उत्पादन होने का अनुमान बताया जा रहा है

खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा कि निर्णय की गलत व्याख्या नहीं की जानी चाहिए, पांडे ने कहा कि यह देश भर में खाद्यान्न की बढ़ती कीमतों को देखते हुए लिया गया था। उन्होंने कहा कि निर्णय इस समय नहीं लिया गया था, और इसमें बहुत विचार किया गया था। पांडे ने शनिवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस), जो देश की खाद्य सुरक्षा प्रणाली की रीढ़ है, सुचारू रूप से चलेगी। गेहूं की उपलब्धता कोई मुद्दा नहीं है लेकिन कीमतें बढ़ रही हैं।

विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने 13 मई की एक अधिसूचना में कहा कि निर्यात शिपमेंट, जिनके लिए इस अधिसूचना की तारीख को या उससे पहले अपरिवर्तनीय ऋण पत्र (एलओसी) जारी किए गए हैं। उन्हें अनुमति दी जाएगी। भारत के गेहूं उत्पादन का अनुमान 1,113 मीट्रिक टन से घटाकर 1,050 मीट्रिक टन कर दिया गया है। कृषि सचिव मनोज आहूजा ने कहा पिछले साल के उत्पादन के आंकड़े 1,095 मीट्रिक टन थे। चल रही गर्मी ने कुछ हद तक उपज को प्रभावित किया है – इस साल 1,050 मीट्रिक टन और पंजाब और हरियाणा में उपज में मामूली गिरावट की उम्मीद है।

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सरकार ने पहले स्पष्ट किया था कि भारत सरकार द्वारा अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए और उनकी सरकारों के अनुरोध के आधार पर दी गई अनुमति के आधार पर गेहूं के निर्यात की अनुमति दी जाएगी। वाणिज्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने कहा कि हम किसी भी मौजूदा गेहूं अनुबंध से पीछे नहीं हट रहे हैं। सुब्रह्मण्यम ने कहा कि कीमतों में वृद्धि के कारण जमाखोरी पर अंकुश लगाने के लिए गेहूं के खुले निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय भी लिया गया।

गेहूं उत्पादन में कोई नाटकीय गिरावट नहीं आई है, सरकार और निजी क्षेत्र में पर्याप्त खाद्य भंडार हैं लेकिन देश के कुछ हिस्सों में गेहूं की कीमतों में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। भोजन सभी के लिए एक संवेदनशील वस्तु है। सरकार पड़ोसियों और कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गेहूं के दाम बढ़े हैं। गेहूं 450-480 डॉलर प्रति टन पर बेचा जा रहा है। हमने पिछले साल 433 लाख मीट्रिक टन और इस साल अब तक 180 एलएमटी की खरीद की, लेकिन स्टॉक पिछले साल की तुलना में कम होगा।

खाद्य सचिव पांडे ने कहा कि सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तहत उपलब्ध कराए जा रहे गेहूं और चावल के अनुपात में बदलाव किया है। उन्होंने कहा 100 प्रतिशत गेहूं पाने वाले राज्यों को यह मिलता रहेगा, लेकिन मिश्रित आपूर्ति वाले अन्य राज्यों को चावल का अधिक अनुपात मिलेगा। PMGKAY में पचपन एलएमटी गेहूं को चावल से बदल दिया गया है, जबकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत वितरण के लिए 61 एमएलटी गेहूं को चावल से बदल दिया गया है।

दरअसल फरवरी तक कि पिछले साल में अधिक उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा था लेकिन मई में सरकार ने संशोधित अनुमान जारी किया है। जिसके मुताबिक सभी फसलों के कुल उत्पादन को लेकर फरवरी 2022 में अग्रिम रिपोर्ट जारी की गई है। इस दौरान 2020-21 की तुलना में 21-22 में गेहूं का उत्पादन करीबन 2 मिलियन टन अधिक होने का अनुमान लगाया गया था। मई के पहले सप्ताह में कृषि मंत्रालय द्वारा संशोधित अनुमान जारी किया गया है। जिसमें पिछले साल से कम उत्पादन होना बताया गया है।

इसके अलावा गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के कारण एमएसपी से अधिक पर गेहूं का बिक्री होना है। असल में रूस यूक्रेन युद्ध के बीच भारतीय गेहूं की मांग बढ़ गई है। ऐसे में गेहूं के दाम एमएसपी से अधिक दाम पर बाजार में बिक रहे हैं। सरकार ने गेहूं के लिए ₹2015 प्रति क्विंटल तय किया है जबकि बाजार के अंदर गेहूं के भाव 2400 तक पहुंच रहे हैं। ऐसे में खरीदी केंद्रों में गेहूं की आवक कम रिकॉर्ड की गई है।

सरकारी रिकॉर्ड की माने तो इस बार एमएसपी पर गेहूं की खरीदी लक्ष्य से आधी भी नहीं रिकॉर्ड की गई है। यह पिछले 13 वर्षों में सबसे कम गेहूं खरीद का अनुमान लगाया जा रहा है। असल में इस बार सरकार ने 444 टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा था। जिसमें 5 मई तक 156 टन की खरीदी का अनुमान जताया गया है।

इसके अलावा गेहूं निर्यातक गेहूं स्टोरेज पर लगाम लगाने को भी माना जा रहा है। असल में रबी सीजन में गेहूं की आवक होती है वहीं रूस यूक्रेन युद्ध के बीच आने वाले दिनों में वैश्विक स्तर पर गेहूं की मांग बढ़ेगी। जिसको देखते हुए किसान से लेकर व्यापारी तक गेहूं का स्टोरेज कर रहे हैं। इस पर अब लगाम लगाने की तैयारी की जा रही है।


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