अहमदाबाद में हुए भीषण प्लेन क्रैश हादसे को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। इस हादसे के 65 पीड़ित परिवारों ने विमान निर्माता कंपनी बोइंग और एयर इंडिया के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का फैसला लिया है। इसके लिए उन्होंने अमेरिका की एक प्रमुख विमानन कानूनी फर्म ‘बेस्ली एलन’ को नियुक्त किया है। 12 जून को अहमदाबाद एयरपोर्ट से लंदन गैटविक के लिए रवाना हुई एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 उड़ान भरने के एक मिनट बाद ही क्रैश हो गई थी। बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान बी जे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल मेस पर गिरा, जिससे जमीन पर मौजूद लोग भी चपेट में आ गए। इस दर्दनाक हादसे में कुल 260 लोगों की मौत हुई, जिसमें 241 यात्री और क्रू मेंबर के साथ 19 लोग जमीन पर शामिल थे। केवल एक यात्री विश्वाश कुमार रमेश जिंदा बचे थे।
प्लेन क्रैश हादसे पर बड़ा अपडेट
पीड़ित परिवारों की ओर से नियुक्त ‘बेस्ली एलन’ वही फर्म है, जिसने 2018 और 2019 में हुए बोइंग 737 मैक्स हादसों के पीड़ितों के लिए भी न्याय और मुआवजा दिलाया था। इस फर्म के कर्ताधर्ता विमानन वकील डी. माइकल एंड्रयूज हैं। वह अमेरिकी संघीय अदालतों में बोइंग के खिलाफ उत्पाद दायित्व के दावों और ब्रिटिश अदालतों में एयर इंडिया के खिलाफ मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के तहत दावों की जांच कर रहे हैं। हालांकि, अभी तक कोई मुकदमा दायर नहीं हुआ है। एंड्रयूज ने कहा कि उनकी फर्म 65 पीड़ित परिवारों का प्रतिनिधित्व कर रही है और हादसे के कारणों की गहन जांच कर रही है। उन्होंने साफ कहा, “पीड़ित परिवार जवाब और पारदर्शिता के हकदार हैं।”
अमेरिकी फर्म के पिछले अनुभव से पीड़ित परिवारों को उम्मीद है कि उन्हें न्याय मिलेगा। 737 मैक्स हादसों में 346 लोगों की मौत हुई थी और ‘बेस्ली एलन’ की कोशिशों से बोइंग ने 90% से अधिक मामलों में समझौता कर अरबों डॉलर का मुआवजा दिया था। अब वही फर्म अहमदाबाद हादसे के मामले में भी सक्रिय हो गई है। चूंकि 12 जून को हुए बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर क्रैश की वजह अब तक सामने नहीं आई है, ऐसे में यह कानूनी लड़ाई कंपनी को अपनी जिम्मेदारी स्वीकारने के लिए मजबूर कर सकती है।
इस हादसे में मारे गए लोगों में 181 भारतीय और 52 ब्रिटिश नागरिक शामिल थे। हादसे के बाद से ही पीड़ित परिवार लगातार जानकारी और जवाब मांग रहे थे। लेकिन जांच की धीमी रफ्तार और पारदर्शिता की कमी से नाराज होकर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानूनी रास्ता अपनाने का फैसला किया। फर्म की ओर से यह भी कहा गया कि वे तकनीकी डाटा और हादसे से जुड़े सभी सबूतों का विश्लेषण करेंगे, ताकि सच्चाई सामने आ सके।
241 यात्रियों में से एकमात्र जीवित बचे विश्वाश कुमार रमेश का कहना है कि हादसे के दिन सब कुछ कुछ ही सेकंड में बदल गया था। क्रैश के बाद विमान और जमीन दोनों जगह भारी तबाही हुई। पीड़ित परिवारों को अब उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय अदालतों के जरिए न केवल मुआवजा मिलेगा, बल्कि जिम्मेदार पक्षों को कटघरे में भी खड़ा किया जाएगा।





