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Thu, Dec 18, 2025

आंगनवाड़ी और हेल्थ वर्कर्स को राहत, गुजरात हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

Written by:Neha Sharma
Published:
गुजरात हाईकोर्ट ने आंगनवाड़ी वर्कर्स और हेल्थ वर्कर्स के वेतन को लेकर बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। लंबे समय से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे इन कर्मचारियों को अब राहत मिली है।
आंगनवाड़ी और हेल्थ वर्कर्स को राहत, गुजरात हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

गुजरात हाईकोर्ट ने आंगनवाड़ी वर्कर्स और हेल्थ वर्कर्स के वेतन को लेकर बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। लंबे समय से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे इन कर्मचारियों को अब राहत मिली है। हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि आंगनवाड़ी वर्कर्स को 24,800 रुपये और आंगनवाड़ी हेल्थ वर्कर्स को 20,300 रुपये मासिक वेतन दिया जाए। यह फैसला उस अपील पर आया है, जो राज्य सरकार ने 2024 में सिंगल जज के आदेश के खिलाफ दायर की थी। अब हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सिंगल जज के फैसले को बरकरार रखते हुए सरकार को भुगतान का आदेश दिया है।

गुजरात हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सरकार को यह वेतन वृद्धि 1 अप्रैल 2025 से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष से लागू करनी होगी। इसके साथ ही अदालत ने स्पष्ट किया कि सरकार छह महीने के भीतर इस फैसले का पालन सुनिश्चित करे और वेतन का भुगतान शुरू करे। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि भुगतान का बोझ केंद्र और राज्य सरकार मिलकर उठाएं या केवल राज्य सरकार ही इसे वहन करे, लेकिन किसी भी हालत में कर्मचारियों को तय राशि मिलनी चाहिए।

हाईकोर्ट की डबल जज बेंच ने साफ किया कि आंगनवाड़ी वर्कर (AWW) को पहले से मिल रहे 10 हजार रुपये के अलावा न्यूनतम मजदूरी 14,800 रुपये जोड़ी जाएगी। इस तरह कुल वेतन 24,800 रुपये होगा। इसी तरह आंगनवाड़ी हेल्पर (AWH) को न्यूनतम मजदूरी 14,800 रुपये के साथ 5,500 रुपये मिलाकर कुल 20,300 रुपये दिए जाएंगे। अदालत ने सरकार की अपील खारिज करते हुए कहा कि यह भुगतान तुरंत प्रभाव से शुरू होना चाहिए और आगे न्यूनतम मजदूरी में जो भी संशोधन होंगे, उनका लाभ भी कर्मचारियों को दिया जाएगा।

यह फैसला आंगनवाड़ी और हेल्थ वर्कर्स के लिए बड़ी जीत मानी जा रही है। वर्षों से कम वेतन के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे इन कर्मचारियों ने कई बार आंदोलन किए थे। अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद लाखों आंगनवाड़ी और हेल्थ वर्कर्स को न केवल आर्थिक राहत मिलेगी, बल्कि उनके हक को भी न्यायिक मान्यता मिल गई है। इस निर्णय से राज्य सरकार पर वित्तीय दबाव जरूर बढ़ेगा, लेकिन कर्मचारियों के लिए यह ऐतिहासिक उपलब्धि साबित होगी।