MP Breaking News
Sun, Dec 21, 2025

गुजरात में जल्द लागू हो सकता है यूनिफॉर्म सिविल कोड, मानसून सत्र में पेश होने की संभावना

Written by:Neha Sharma
Published:
उत्तराखंड के बाद अब बीजेपी शासित गुजरात में भी यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू होने की तैयारी है। राज्य सरकार विधानसभा के आगामी मानसून सत्र में यूसीसी विधेयक पेश कर सकती है।
गुजरात में जल्द लागू हो सकता है यूनिफॉर्म सिविल कोड, मानसून सत्र में पेश होने की संभावना

उत्तराखंड के बाद अब बीजेपी शासित गुजरात में भी यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू होने की तैयारी है। राज्य सरकार विधानसभा के आगामी मानसून सत्र में यूसीसी विधेयक पेश कर सकती है। अनुमान है कि विधानसभा सत्र 15 अगस्त के बाद शुरू होगा। राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है कि सरकार नगर निगम चुनावों से पहले यूसीसी को कानूनी रूप से लागू करने का मन बना चुकी है। इससे पहले, यूसीसी पर गठित समिति की चेयरपर्सन और सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति रंजना देसाई ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल से मुलाकात कर प्रजेंटेशन भी दिया था।

गुजरात में लागू हो सकता है यूनिफॉर्म सिविल कोड

न्यायमूर्ति रंजना देसाई ने संकेत दिए हैं कि समिति की रिपोर्ट इसी महीने सौंपी जा सकती है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट जमा करने की सही तारीख तय नहीं हुई है, लेकिन समय सीमा बढ़ाने की फिलहाल आवश्यकता नहीं है। यह भी अनुमान है कि मानसून सत्र में विधेयक विधानसभा में पेश होकर पारित हो सकता है, जिससे सरकार अपने वादे को समय पर पूरा कर सके। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि निकाय चुनावों से पहले यूसीसी लागू करने से बीजेपी को वैचारिक बढ़त मिल सकती है।

गुजरात में अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा और राजकोट सहित कई बड़े शहरों के नगर निगम और अन्य स्थानीय निकायों के चुनाव इसी साल के अंत में प्रस्तावित हैं। हालांकि, कुछ रिपोर्टों के मुताबिक ये चुनाव अगले साल की शुरुआत में भी हो सकते हैं। चुनाव की तारीख मानसून खत्म होने के बाद शहरी क्षेत्रों की स्थिति पर निर्भर करेगी। फिलहाल, इन सभी बड़े शहरों में बीजेपी का नियंत्रण है। सूरत में आम आदमी पार्टी मुख्य विपक्ष की भूमिका में है, जबकि अहमदाबाद में कांग्रेस के पास नेता विपक्ष का पद है।

राज्य सरकार ने यूसीसी लागू करने के लिए इस साल 4 फरवरी को समिति का गठन किया था, जिसके प्रमुख के रूप में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना देसाई को नियुक्त किया गया था। समिति का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए समान कानून व्यवस्था सुनिश्चित करना है, जिससे विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और संपत्ति के मामलों में समान नियम लागू हों। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस कदम से न केवल चुनावी रणनीति को मजबूती मिलेगी, बल्कि समाज में एकरूपता और कानूनी समानता का संदेश भी जाएगा।