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Thu, Dec 18, 2025

अमेरिका के टैरिफ से संकट में गुजरात का झींगा उद्योग, किसानों को भारी नुकसान का अंदेशा

Written by:Neha Sharma
Published:
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय निर्यात पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिसका सीधा असर भारत के झींगा उद्योग पर पड़ने की आशंका है। फिलहाल इस टैरिफ के लागू होने में देरी हुई है।
अमेरिका के टैरिफ से संकट में गुजरात का झींगा उद्योग, किसानों को भारी नुकसान का अंदेशा

Donald Trump Tariff on India

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय निर्यात पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिसका सीधा असर भारत के झींगा उद्योग पर पड़ने की आशंका है। फिलहाल इस टैरिफ के लागू होने में देरी हुई है, लेकिन यदि इसे लागू किया गया तो झींगा निर्यात में भारी कमी आ सकती है। भारत से अमेरिका को करीब 23,000 करोड़ रुपये के झींगे निर्यात होते हैं, जिसमें गुजरात का योगदान लगभग 700 करोड़ रुपये का है। नवसारी जिले से ही सालाना 2,000 से 2,500 टन झींगे विदेश भेजे जाते हैं। वर्तमान में झींगे की औसत कीमत 500 रुपये प्रति किलो है, लेकिन टैरिफ लागू होने पर किसानों को इसे 375 रुपये में बेचना पड़ सकता है, जिससे प्रति किलो 125 रुपये का नुकसान होगा।

टैरिफ से संकट में गुजरात का झींगा उद्योग

झींगा उद्योग पहले से ही कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। झींगों को लंबे समय तक स्टोर नहीं किया जा सकता, जिससे बाजार में दाम गिरने पर तुरंत बिक्री करनी पड़ती है। गुजरात में बिजली की दर 7 रुपये प्रति यूनिट है, जबकि अन्य राज्यों में यह करीब 2 रुपये कम है, जिससे उत्पादन लागत अधिक होती है। इसके अलावा, झींगों में “ब्लैक स्पॉट” नामक बीमारी का खतरा बना रहता है, जो पूरे उत्पादन को बर्बाद कर सकती है। ऐसे में 25% टैरिफ उद्योग के लिए एक और बड़ा झटका साबित हो सकता है।

नवसारी के झींगा किसानों का कहना है कि टैरिफ लागू होने से उनकी आमदनी में भारी गिरावट आएगी। यदि गुजरात सरकार ने समय रहते मदद नहीं की, तो संभव है कि आंध्र प्रदेश की तरह यहां के किसान भी झींगा पालन छोड़कर मछली पालन या अन्य खेती की ओर रुख कर लें। झींगा उद्योग न केवल किसानों की आजीविका का बड़ा साधन है, बल्कि विदेशी मुद्रा अर्जन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को इस संकट से उबारने के लिए त्वरित कदम उठाने चाहिए। इसमें वैकल्पिक निर्यात बाजार तलाशना, उत्पादन लागत कम करना, बिजली दरों में राहत और किसानों को आर्थिक सहायता शामिल हो सकती है। अगर समय पर समाधान नहीं निकाला गया, तो गुजरात का झींगा उद्योग करोड़ों रुपये के नुकसान में जा सकता है और हजारों परिवारों की जीविका खतरे में पड़ सकती है।