भोपाल। कभी ग्वालियर रियासत पर सालों राज करने वाला सिंधिया घराना हाल ही में हुए मध्य प्रदेश और राजस्थान में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद सत्ता से बाहर होने के साथ दो दशक बाद किसी भी राजनीतिक पद पर नहीं हैं। करीब 20 साल बाद सिंधिया घराने का कोई भी सदस्य केंद्र और राज्य सरकार में किसी भी मंत्री पद पर नहीं है। हाल ही में राजस्थान में भाजपा की हार के बाद वसुंधरा राजे सिंधिया को मुख्यमंत्री पद गंवाना पड़ा। वहां अब कांग्रेस सत्ता में है। वहीं, मध्य प्रदेश में भी कुछ ऐसा ही हुआ। खेल मंत्री रहीं यशोधरा राजे सिंधिया भी पार्टी की हार के बाद अब विपक्ष में रहेंगी। वहीं, एमपी में कांग्रेस की सत्ता वापसी के बाद भी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को कोई बड़ा पद अभी नहीं दिया गया है। पहले उनका नाम मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल था। लेकिन बाद कमलनाथ को सीएम बनाने की घोषणा कर दी गई।
सीट बचाने में कामयाब
ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ और भाजपा सरकार में खेल मंत्री रही यशोधरा राजे सिंधिया शिवपुरी सीट से जीत तो गईं लेकिन वह पार्टी की हार होने के कारण मंत्री पद से बाहर हो गईं। हालांकि, पार्टी हार के बाद अब उनकी राह आसान नहीं है। चंबल में पार्टी के खराब प्रदर्शन के कारण उन पर सवाल उठे हैं। मंत्री होने के बाद भी चंबल में भाजपा का प्रदर्शन इस बार बेहद खराब रहा। पार्टी हार के बाद उन्होंने एक बयान दिया था कि अगर टिकट बंटवारे में उनकी राय मानी जाती तो नतीजे कुछ और होते।
क्या रहा है परिवार का रुतबा
सिंधिया परिवार के सदस्य जब-जब सत्ता में रहे उन्हें मंत्री मंडल में बड़े पद मिले। वसुंधरा राजे सिंधिया पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वायपेयी की 1998 की सरकार में विदेश मंत्री रहीं थी। बाद में उन्हें लघु उद्योग और कृषि और ग्रामीण उद्योग का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया था। 2003 में वह राजस्थान की मुख्यमंत्री बनीं। फिर वह 2008 तक सीएम रहीं। सरकार जाने के बाद वसुंधरा राजे को फिर सीएम पद गंवाना पड़ा लेकिन 2008 के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस की सरकार में केंद्रीय मंत्री बनाया गया। वह 2014 तक केंद्र सराकर में मंत्री रहे। 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई और राजस्थान में बीजेपी की सरकार बनी। एक बार फिर वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान की मुख्यमंत्री बनीं। हालांकि, इस बार यह माना जा रहा था कि एमपी में कांग्रेस की वापसी पर सिंधिया के सिर सीएम का ताज पहनाया जा सकता है। लेकिन उन्हें लोकसभी चुनाव के मद्देनजर प्रदेश की सियासत की डौर नहीं सौंपी गई।