कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्षों की सीटें भी डेंजर जोन में, बदलाव के आसार

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भोपाल। मध्य प्रदेश में बंपर वोटिंग के बाद अब सरकार बनाने के लिए सभी दल पुख्ता दावे कर रहे हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमनाथ दावा कर चुके हैं कि उन्हें 150 सीटें मिल रही हैं। वहीं, भाजपा का कहना है कि वह बहुमत से सरकार में आ रही है। और चौथी बार फिर सरकार बनाएगी। लेकिन सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के चारों कार्यकारी अध्यक्षों की सीट पर खतरा मंडरा रहा है। मत प्रतिशत बढ़ने से कांग्रेस में खुशी की लहर है वह दावा कर रही है यह मतप्रतिशत बदलाव के लिए बढ़ा है, लेकिन इनमें कांग्रेस के चार कार्यकारी अध्यक्षों की सीटें भी शामिल हैं। जिस पर वोटिंग प्रतिशत 2013 के मुकाबले बढ़ा है। इससे वह डेंजर जोन में दिखाई दे रहे हैं। इनमें बाला बच्चन (निमाड़ क्षेत्र से विधायक और विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष), रामनिवास रावत (ग्वालियर चंबल क्षेत्र से विधायक), जीतू पटवारी (मालवा क्षेत्र से विधायक), सुरेंद्र चौधरी (बुंदेलखंड से विधायक) शामिल हैं। 

जीतू पटवारी ने राऊ सीट से इस बार चुनाव लड़ा है, रामनिवास रावत श्योपुर की विजयपुर विधानसभा से चुनाव लड़े हैं, बाला बच्चन ने बड़वानी की राजपुर और सुरेंद्र चौधरी ने सागर जिले की नरयावली सीट से चुनाव लड़ा है। पटवारी ने भाजपा की मधु वर्मा के खिलाफ चुनाव लड़े है। राऊ में इस बार 73 फीसदी वोटिंग हुई है। पिछली बार यहां 72 फीसदी मतदान हुआ था। कांग्रेस का दावा है कि वह यह सीट इस बार भी जीतेगी। लेकिन राजनीति के जानकारों का मानना है कि इस बार वर्मा समीकरण बदल सकती हैं। 

कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्षों की सीटें भी डेंजर जोन में, बदलाव के आसार

वर्मा को इस बार लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन का साथ मिला है। आशंका जताई जा रही है कि इस बर यहां उलटफेर हो सकता है। वहीं, विजयपुर सीट पर इस बार रावत त्रिकोणीय मुकाबले का सामना कर रहे हैं। इस सीट पर भी चार फीसदी मतदान बढ़ा है। पिछली बार 74 फीसदी मतदान हुआ था लेकिन इस बार यहां 78 फीसदी मतदान दर्ज किया गया है। रावत ने भाजपा के सीताराम आदिवासी और भाजपा के बागी और बीएसपी के उम्मीदवार बाबूलाल मेवाड़ा के खिलाफ चुनाव लड़ा है। 

पूर्व कलेक्टर भी मैदान में 

श्योपुर के पूर्व कलेक्टर रहे पन्नालाल सोलंकी भी इस सीट पर अपना भाग्य आजमा रहे हैं। उन्होंने निर्दलीय ही इस बार चुनाव लड़ा है। रावत इस सीट पर पांच बार से विधायक रहे हैं। लेकिन इस बार वह मुरैना के सबलागढ़ के टिकट मांग रहे थे। हालांकि, प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने उनकी सीट नहीं बदली लहाजा उन्हें विजयपुर से ही चुनाव लड़ना पड़ा। सूत्रों का कहना है कि इस बार रावत मुश्किलों में दिखाई दे रहे हैं। चुनावी वैतरणी इस बार पार पाना कठिन हो रहा है। वहीं, राजपुर सीट पर भाजपा के अंतर सिंह के खिलाफ बच्चन चुनाव लड़ रहे हैं। बच्चन को भी इस सीट पर बहुत कड़ा मुकाबला करना पड़ा। बच्चन कमलनाथ खेमें के खास माने जाते हैं। 

तथ्य के मुताबिक कांग्रेस ने इस बार निमाड़ क्षेत्र में पूरी ताकत झोंकी है। लेकिन इकसे बाद भी यहां बच्चन की हालत बहुत प्रभावी नजर नहीं आ रही है। पोलिंग प्रतिशत इस बार राजपुर सीट पर 77 से बढ़ कर 79 फीसदी हो गया है। वहीं, नरयावली सीट पर भाजपा के प्रदीप लारिया के खिलाफ सुरेंद्र चौधरी चुनाव लड़े हैं। लारिया ने चौधरी को पिछले चुनाव में करीब 16 हजार वोट से हराया था। यह सीट 2003 से भाजपा के कब्जे में है। इस सीट को दोबारा हासिल करने के लिए कांग्रेस प्रदेश इंचार्ज दीपक बावरिया ने यह तक ऐलान कर दिया था कि अगर इस सीट पर चौधरी जीत हासिल करते हैं तो उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि इस घोषणा के बाद भी यहां चौधरी को काफी चुनौतियां का सामना करना पड़ रहा है। 


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