इस कंट्रोल रूम से रखी जाएगी मध्यप्रदेश की सभी गर्भवती महिलाओं पर नज़र

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। प्रदेश में इस तरह जच्चा और बच्चा की मौत के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं, इन्हें बढ़ते आंकड़ों को रोकने के लिए एनएचएम एक प्रदेश स्तरीय कंट्रोल रूम (Control room) शुरू करने जा रहा है, मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) देश का पहला ऐसा राज्य होगा जहां एक ऐसा कंट्रोल रूम खुल रहा है जहां न केवल गर्भवती महिलाओं (Pregnant women) की परेशानियों को दूर किया जाएगा बल्कि गर्भवती महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य का पूरा डाटा भी रखा जाएगा।

प्रेग्नेंसी के दौरान अक्सर देखा गया है कि महिलाओं में खून ओर कैल्शियम की कमी हो जाती है।  गर्भवती महिलाओं को हाई बीपी, शुगर, बॉडी पैन,मोटापा,डिप्रेशन जैसी बहुत सारी गंभीर बीमारियां भी हो जाती है, ऐसी बहुत सारी महिलाएं होती हैं जिन्हें बहुत सारी बीमारियां घेर लेती हैं और जो प्रेग्नेंसी के दौरान हाईरिस्क जोन में आती है, जिस वजह से गर्भवती महिलाओं की प्रसव के दौरान या डिलेवरी के 24 घंटे के अंदर ही मौत हो जाती है, इतना ही नहीं इस तरह की हाईरिस्क गर्भ वाली मां से जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं की मौत भी जन्म लेते ही या जन्म के 1 हफ्ते या कभी कभी 1 महीने के भीतर हो जातीं हैं।

इस कंट्रोल रूम में गर्भवती महिलाओं की परेशानियां सुलझाने ओर उनके सुरक्षित प्रसव के लिए 24 घंटे कर्मचारी मौजूद रहेंगे। एनएचएम की मिशन संचालक छवि भारद्वाज का कहना है कि इस कंट्रोल रूम में प्रदेश की गर्भवती महिलाओं की सेहत जानकारी और प्रसव की संभावित डेट का डाटा रखा जाएगा, ताकि प्रसव के दौरान उन्हें सही इलाज मिल सके।इसलिय इसको सुरक्षित मातृत्व आश्वासन प्रोग्राम यानी सुमन नाम दिया गया है।  इस राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम में 15 कर्मचारी अलग-अलग शिफ्ट में 24 घंटे काम करेंगे। हाईरिस्क गर्भवती महिलाएं जो खासकर खून की कमी से जूझ रहीं होंगी उन्हें प्रेग्नेंसी के पहले निगरानी कर आयरन शुक्रोज, ब्लड़ ट्रांसफ्यूजन, रेगुलर चेकअप की व्यवस्था की जाएगी। आशा, एएनएम के साथ ही कम्युनिटी हेल्थ आॅफीसर को उसके इलाके की गर्भवती महिलाओं की लाइन लिस्ट दी जाएगी। इतना ही नही हाईरिस्क महिलाओं को प्रेग्नेंसी की संभावित डेट के दो दिन पहले से ही ऐसे सरकारी हॉस्पिटल में भर्ती किया जाएगा।जहां सिजेरियन डिलेवरी के साथ ही बच्चे के लिए भी सभी सुविधाएं मौजूद हों।

इन आंकड़ों पर डाले नज़र

  • 2019 में 31 हजार से ज्यादा नवजात नहीं पूरा कर पाए अपना 1 साल
  • 2019 में 2144 प्रसूताओं ने थोड़ा दम
  • 2020-21 में संभावित
  • प्रसव- 11,35,024
  • रजिस्टर्ड- 6,64,127
  • हाईपर टेंशन ओर मॉडरेट एनीमिया की शिकार-2,16,256
  • मॉड्रेट एनीमिया की शिकार – 86,649
  • इतनी महिलाओं को आयरन के डोज दिए गए- 3595

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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