भोपाल। लोकसभा सीट भोपाल से भाजपा ने अभी तक अपने प्रत्याशी के नाम का ऐलान नहीं किया है। जबकि कांग्रेस एक पखवाड़े पहले दिग्विजय सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। पार्टी ने दिग्विजय के खिलाफ प्रत्याशी उतारने के लिए हर छोटे बड़े नेता के नाम पर मंथन किया है,लेकिन सहमति नहीं बन पा रही है। ऐसे में पार्टी आलोक संजर को ही दिग्विजय के खिलाफ उतारने का फैसला ले सकती है। ऐसा इसलिए भी क्यूंकि अगर किसी बड़े नेता को दिग्विजय के सामने उतारा गया तो जीत के लिए सभी दिग्गजों को भोपाल में डेरा डालना पड़ेगा और बाकी सीटों की स्तिथि भी ठीक नहीं है, जहां प्रदेश के बड़े नेताओं को सीट निकालने के लिए दौरे करने होंगे|
बताया कि इस संबंध में हाईकमान की ओर से प्रदेश नेतृत्व से मत लिया है कि आलोक को प्रत्याशी बनाए जाने पर परिणाम की क्या स्थिति रहेगी। बताया गया कि प्रदेश नेतृत्व ने हाईकमान को मत भेज दिया है। ऐसे में संजर के नाम पर फिर से मुहर लग सकती है। संजर को प्रत्याशी बनाए जाने के पीछे की वजह यह सामने आई कि संजर के नाम पर भाजपा के सभी गुट एक जुट रहेंगे। यदि तोमर, शिवराज, उमा या फिर अन्य किसी बड़े चेहरे को प्रत्याशी बनाया जाता है तो पार्टी में भितरघात का खतरा बड़ सकता है। स्थानीय नेताओं की ओर से बाहरी को प्रत्याशी बनाए जाने का पहले ही विरोध हो चुका है। ऐसे में हाईकमान ने प्रदेश नेतृत्व से रिपोर्ट मांगी है। जिसमें यह भी पूछा है कि संजर केा प्रत्याशी बनाया जाता है तो जीत की संभावना क्या रहेगी। साथ ही भितरघात की स्थिति रहेगी। हालांकि अभी तक भाजपा ने भोपाल लोकसभा क्षेत्र से किसी को भी प्रत्याशी नहीं बनाया है। अब तक एक आधा दर्जन नेताओं के नाम इस सीट से सामने आ चुके हैं|
दिग्विजय की तैयारियां तेज
उम्मीदवार के ऐलान में देरी से भाजपा कमजोर हो रही है| औपचारिक ऐलान के बाद से ही दिग्विजय लगातार चुनाव क्षेत्र में दौरे कर रहे हैं और बूथ कार्यकर्ता सम्मलेन, कार्यकर्ताओं से वन टू वन चर्चा और अलग अलग समाज से मिलकर अपनी कार्ययोजना पर काम कर रहे हैं, जिससे कार्यकर्ताओं में भी उत्साह है, वहीं प्रत्याशी तय न होने से भाजपा में निराशा बढ़ती जा रही है| चुनाव तैयारियों के लिहाज से भोपाल सीट पर भाजपा पिछड़ती नजर आ रही है| दिग्विजय के नाम की घोषणा के दो सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी भाजपा नाम तय नहीं कर पाई है| वहीं दिग्विजय ने कार्यकर्ताओं के हिसाब से करीब करीब पूरी लोकसभा का दौरा कर लिया है| प्रत्याशी बनने के बाद दिग्विजय ने बैरसिया, उत्तर, मध्य, दक्षिण-पश्चिम, हुजूर के कोलर और बैरागढ़ सहित सीहोर विधानसभा में कार्यकर्ताओं के सम्मलेन बुलाकर वन टू वन चर्चा कर चुनाव की तैयारियों में जुटने के लिया काम शुरू कर दिया है| इस हिसाब से भाजपा से दिग्विजय आगे निकल गए हैं| उम्मीदवार तय करने में देरी का खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ सकता है|
हर नुस्खे रहे फेल, इस बार दिग्विजय बनाएंगे खेल
विधानसभा चुनाव में जीत के बाद से ही कांग्रेस में यह तय हो गया था कि लोकसभा चुनाव में कठिन सीटों पर कब्जा जमाना है| इसके लिए पार्टी ने वरिष्ठ नेता दिग्विजय को भोपाल सीट से उतारा| इस सीट पर कांग्रेस सारे नुस्खे आजमा चुकी है लेकिन जीत नहीं मिली। ब्राह्मण, मुस्लिम, कायस्थ, ओबीसी, नवाब, क्रिकेटर, स्थानीय, बाहरी सबको आजमा लिया, पर कामयाबी नसीब नहीं हो पाई। कांग्रेस के के एन प्रधान 1984 में भोपाल से जीतने वाले आखिरी उम्मीदवार थे। हारने वालों की सूची में पूर्व क्रिकेटर नवाब पटौदी, पूर्व मंत्री सुरेश पचौरी जैसे दिग्गज शामिल हैं। लेकिन इस बार दिग्विजय के मैदान में आने से कांग्रेस की उम्मीद बढ़ी है, हालांकि भाजपा भी दिग्विजय की घेराबंदी रणनीति बना रही है|