भोपाल| मध्य प्रदेश सरकार की अफसरशाही एक बार फिर कमलनाथ सरकार की किरकिरी कराने की तैयारी में है। दरअसल अपने वचन पत्र में कमलनाथ ने यह वादा किया था कि वे सत्ता में आते ही ई टेंडिंरिग घोटाले की जांच कराएंगे। सरकार बने पाच महीने बीतने को हुए, ई टेंडरिंग घोटाले की जांच कछुए की गति चली और जब बुधवार को इसमें एफ आईआरदर्ज की गई तो साफ समझ में आया कि किस तरह अफसरों ने सिर्फ खानापूर्ति की है। अफसरशाही द्वारा ईओडब्ल्यू को सौपे गए दस्तावेजों में केवल जनवरी 2018 से जून 2018 तक की टेन्डरो की जांच के बारे में लिखा गया जबकि ई टेन्डरिन्ग घोटाला मध्यप्रदेश में 2006 से चल रहा है। इसी तरह घोटाले की रकम के बारे में 3000 करोड़ का अनुमान बताया गया जबकि यह घोटाला लगभग 80,000 करोड पर से ज्यादा का है।
सबसे हास्यास्पद बात यह है कि इस घोटाले में अज्ञात नौकरशाहों और अज्ञात राजनीतिज्ञों के बारे में एफ आई आर दर्ज की गई है जबकि सामान्य बुद्धि का एक व्यक्ति भी जानता है कि उस समय विभाग के प्रमुख सचिव और मंत्री कौन कौन लोग थे। वल्लभ भवन में तो यह अफवाह भी जोरों पर है कि सरकार में बैठे कुछ अफसरों ने कुछ समय पहले ही ई टेंडरिंग घोटाले में लिप्त अफसरों के साथ सामंजस्य बिठा लिया था और बाकायदा कमलनाथ के कुछ नजदीकी लोगों के साथ उनकी मीटिंग करा कर उन्हें यह भी आश्वस्त कर दिया था कि अब उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा। जिन विभागों के खिलाफ ई टेंडरिंग घोटाले के आरोप हैं उसके दो आला अफसरों की तो बाकायदा दिल्ली से सम्मान विदाई भी कर दी गई। अब ऐसे में सवाल यह है कि क्या ई टेंडरिंग घोटाला कमलनाथ की मंशा के अनुरूप अपने अंजाम तक पहुंच पाएगा।