नरसिंहपुर। नई सरकार में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल किया गया है| दो दर्जन से ज्यादा जिलों के कलेक्टर बदले गए हैं| इस सर्जरी में विवादों में रहे नरसिंहपुर के कलेक्टर अभय वर्मा को महिला एवं बाल विकास विभाग का उप सचिव बनाया गया है| उनके स्थान पर दीपक सक्सेना की पदस्थापना की गई है। दीपक सक्सेना अभी राज्य निर्वाचन आयोग में उप सचिव थे । वे इससे पहले यहां जिला पंचायत के सीईओ के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। अभय वर्मा के तबादले के बाद यहां खुशियां मनाई जा रही है| तबादले की खबर फैलते ही यहां लोगों ने रात में ही चौराहे पर पटाखे फोड़े| वहीं शहर में कई जगह पोस्टर भी लगाय गए हैं, जो चर्चा का विषय बने हुए है, अक्सर नेताओं के खिलाफ ऐसा विरोध देखा जाता है, लेकिन किसी अधिकारी के तबादले पर जश्न अनोखा है|
दरअसल, नरसिंहपुर में पदस्थ रहते हुए अभय वर्मा कई विवादों में घिरे रहे, हाल ही में उनकी जिला बदर की कार्रवाई के खिलाफ जमकर आक्रोश फेल गया था| अंशुल ब्योहार पिता अनिल ब्योहार को अभय वर्मा ने जिले में चुनाव के दौरान अशांति फैलाने की आशंका के चलते चार दिन पहले जिला बदर कर दिया था। जबकि अंशुल के खिलाफ नरसिंहपुर जिले सहित पूरे प्रदेश में किसी भी थाने में कोई आपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं था। अंशुल ने राज्य निर्वाचन आयोग से इसकी शिकायत की| जिसमे कहा गया था कि मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी बीएल कांताराव के नरसिंहपुर आगमन पर अभय वर्मा के खिलाफ सवाल किए थे जिसकी वजह से उसे जिला बदर किया गया है। जिसकी वजह से वह मतदान से वंचित हो जाएगा। शिकायत के बाद उसे मतदान के लिए अनुमति पत्र भी जारी किया गया था| कलेक्टर की इस कार्रवाई पर पत्रकारों ने सवाल उठाये थे| अब जब अभय वर्मा का तबादला हो गया है तो उनके खिलाफ यहां पोस्टर लगाए गए हैं जिसमे लिखा है “लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ का दमन कर, पत्रकारों पर फर्जी मुक़दमे दर्ज कर अपने पद और अधिकारों का दुरूपयोग करने वाले अभय वर्मा..अब वल्लभ भवन में खंगालेंगे सरकारी फाइलें” “देश की संवेदनशील सरकार को जिले के पत्रकारों का धन्यवाद” यह पोस्टर लगाए जाने वाले नाम भी इसमें लिखे गए हैं जो इस प्रकार हैं…दीपक श्रीवास्तव, दीपचंद जाटव, अंशुल ब्योहार, ललित श्रीवास्तव, अभय |
विवादों से लंबा नाता
इससे पहले भी अभय वर्मा पर कई मामलों में विवादों में रहे हैं| सड़क की समस्या को लेकर जनसुनवाई में पहुंचे एक वृद्ध को अभय वर्मा ने जेल भिजवा दिया था| कलेक्टर के इस फैसले का पुरजोर तरीके से विरोध हुआ था| यह मामला खूब गरमाया था और क्षेत्र के लोग भी कलेक्टर के खिलाफ सड़कों पर उत्तर आये थे और कार्रवाई के लिए मांग की गई थी| वहीं चुनाव से पहले कयास लगाए जा रहे थे कि उनका तबादला होगा| लेकिन चुनाव के बाद नई सरकार बनते ही पहली ही सर्जरी में अभय वर्मा से कल्लेक्टरी छिन गई | अभय वर्मा पर एनटीपीसी के खिलाफ आंदोलन करने पर 39 किसानों को जेल भेजने के मामले में भी आरोप लगे थे| इस मामले में अभय वर्मा ने मानव अधिकार आयोग को गलत रिपोर्ट दी थी| रिपोर्ट में कहा गया था कि किसी भी किसान को जेल नहीं भेजा गया है, बल्कि गाडरवारा अधिवक्ता संघ ने किसानों को विधि विरूद्ध जेल भेजने की शिकायत सुप्रीम कोर्ट से की थी| जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने मानव अधिकार आयोग को जांच के लिए निर्देशित किया था, लेकिन कलेक्टर के प्रतिवेदन को तथ्यों से परे माना था और दोबारा से इसे रखने को कहा था|
शहर में सुभाष पार्क चौराहा, जनपद कार्यालय के सामने, कोतवाली के पास साक्षरता स्तंभ के सामने, गांधी चौराहा व गल्र्स कॉलेज के पास होर्डिंग नजर आए जिनमें कलेक्टर अभय वर्मा के ट्रांसफर पर प्रदेश के सीएम कमलनाथ का आभार माना गया है।