भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में दीनदयाल समितियों (Deendayal Committees) का पुनर्गठन किया जाना है, ये समितियाँ राज्य, जिला, नगर, विकासखंड एवं ग्राम पंचायत स्तर पर होंगी। राज्य स्तरीय समिति में प्रत्येक जिले का एक प्रतिनिधि होगा। जिला स्तरीय समिति प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में गठित होगी। नगर स्तरीय समिति में प्रत्येक वार्ड से एक प्रतिनिधि होगा।
दरअसल, सीएम शिवराज आज मंत्रालय में दीनदयाल अंत्योदय कार्यक्रम संबंधी बैठक ले रहे थे।इस मौके पर सीएम चौहान ने कहा कि दीनदयाल समितियाँ योजनाओं का प्रचार-प्रसार, हितग्राही चयन और हटाने की अनुशंसा, योजना का लाभ दिलाने में हितग्राही की मदद, योजनाओं के क्रियान्वयन की मॉनीटरिंग करना तथा सामाजिक अंकेक्षण आदि का कार्य करेंगी।दीनदयाल समितियों का मुख्य उद्देश्य है शासन की योजनाओं एवं कार्यक्रमों का जनता को समय से और ठीक ढंग से लाभ मिल जाए तथा यदि उसमें कोई दिक्कत आ रही है अथवा गड़बड़ी हो रही है, तो उसकी सूचना ऊपर देना।
सीएम शिवराज ने कहा है कि शासन (MP Government) की विभिन्न योजनाओं का मैदानी स्तर तक जनता को समुचित और समय पर लाभ मिल जाए, इसके लिए आवश्यक है कि दीनदयाल अंत्योदय स्थानीय समितियाँ उनके क्रियान्वयन में सक्रिय भागीदारी निभाएँ तथा उनका लाभ जनता को दिलाने के लिए सहयोग करें। MP में अंतिम पंक्ति के व्यक्ति को शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाकर आगे लाने के उद्देश्य से प्रदेश में दीनदयाल अंत्योदय कार्यक्रम शुरू किया गया था।
सीएम शिवराज सिंह ने कहा कि वर्तमान परस्थितियों के अनुरूप इसमें आवश्यक सुधार किए जाएँ और इसका प्रदेश में प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए।दीनदयाल अंत्योदय कार्यक्रम वर्ष 1991 से प्रचलित है। कार्यक्रम के तहत 16 योजनाओं की समीक्षा की जाती थी। इनमें से बहुत सारी योजनाएँ बदं हो चुकी हैं या परिवर्तित रूप एवं व्यवस्था अंतर्गत संचालित हैं। कार्यक्रम अंतर्गत वर्तमान परिस्थितियों अनुसार नवीन योजनाओं को भी अधिसूचित किया जाना है।
वर्तमान में दीनदयाल अंत्योदय कार्यक्रम के तहत 16 कार्यक्रम
- एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम।
- ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में रोजगारमूलक कार्यक्रम।
- भूमिहीन, सीमांत और लघु कृषकों के लिए पशुपालन कार्यक्रम का ग्रामोद्योग के रूप में विकास।
- आदिवासी, अनुसूचित जाति तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को रोजगार हासिल कराने के लिए सामाजिक वानिकी और बिगड़े वनों के सुधार का कार्यक्रम।
- अतिक्रमित वन भूमि का नियमानुसार व्यवस्थापन और समग्र विकास।
- कुटीर उद्योगों और ग्रामोद्योगों का विकास।
- झुग्गी-झोपड़ी वासियों तथा ग्रामीण क्षेत्र में आवासहीन लोगों को सस्ती दरों पर भूखण्ड अथवा आवास उपलब्ध कराने का कार्यक्रम।
- निराश्रितों की पेंशन के लिए कार्यक्रम।
- आदिवासी, अनुसूचित जाति और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए विशेष कल्याण कार्यक्रम।
- निरक्षरता निवारण कार्यक्रम तथा 6 से 14 वर्ष आयु समूह के बच्चों के लिए अनिवार्य और नि:शुल्क प्राथमिक शिक्षा के कार्यक्रम।
- प्रत्येक ग्राम में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का कार्यक्रम।
- प्रत्येक ग्राम में बिजली पहुँचाने का कार्यक्रम।
- जीवनधारा कार्यक्रम।
- लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण कार्यक्रम।
- महिला-बाल विकास कार्यक्रम।
- ग्रामीण क्षेत्रों में पहुँच मार्गों के निर्माण का कार्यक्रम।