भोपाल। लोकसभा चुनाव के बाद एग्जिट पोल के नतीजों ने भले बीजेपी को खुश होने का मौका दिया है लेकिन कांग्रेस अभी भी बीजेपी के गढ़ों को भेदने का दावा कर रही है। पार्टी को अपनी जीत पर पूरा विश्वास है। कांग्रेस के सामने एग्जिट पोल से कहीं अधिक गुटबाजी से निपटने बड़ा कारण है। ग्वालियर सीट भी इनमें से एक है। जहां लोकसभा चुनाव में गुटबाज़ी अपने चरम पर दिखाई दी। इस सीट पर दिग्विजय सिंह के समर्थक अशोक सिंह को मैदान में उतारा गया है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि सिंधिया गुट ने चुनाव प्रचार के दौरान उनका साथ नहीं दिया।
दरअसल, कांग्रेस अब लोकसभा चुनाव के बाद मंथन करने में जुटी है। अफसरों से लेकर अपने नेताओं के भितरघात की कुंडली तैयार की जा रही है। जिन्होंने पार्टी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है उन्हें पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। पार्टी एक्शन मोड में नज़र आ रही है। ग्वालियर सीट पर असहयोग करने वाले नेताओं की लिस्ट भी तैयार हो गई है। अपने प्रत्याशियों के खिलाफ भितरघात और खिलाफ काम करने वालों को चिन्हित कर चुकी है। नतीजों के बाद भितरघातियों पर गाज गिराने की तैयारी है। ग्वालियर सीट से चौथी बार अपनी किस्मत आजमा रहे अशोक सिंह को इस बार जिला कांग्रेस ने सहयोग नहीं किया। ऐसा आरोप है कि इसके पीछे सिंधिया गुट बड़ी वजह है।
विजिलेंस टीम ने तैयार की कुंडली
कांग्रेस को जिन सीटों पर भितरघात का खतरा था वहां पार्टी की ओर से पहले ही विजिलेंस टीम भेजी गई थी। ग्वालियर सीट पर भी इश टीम ने 15 दिन पहले से डेरा डाल रखा था। इसके बाद टीम ने उन नेताओं के नाम की लिस्ट तैयार की है जिन्होंने चुनाव प्रचार समेत अन्य तरह पार्टी उम्मीदवार को सहयोग नहीं दिया। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि विजिलेंस टीम के राडार पर इस बार जो कांग्रेसी थे उनमें सबसे पहला नाम कमलनाथ सरकार में केबिनेट मंत्री प्रदुम्न सिंह तोमर और इमरती देवी का है। उस���े बाद ज़िला शहर कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र शर्मा, ग्रामीण जिलाध्यक्ष मोहन सिंह का है। इनके साथ ग्वालियर पूर्व के विधायक मुन्ना लाल, करैरा विधायक-जसवंत जाटव और पोहरी विधायक सुरेश रथखेड़ा का है।