जबलपुर, संदीप कुमार। कोरोना (corona) की जकड़ में आने वालों बच्चों के शरीर मे बन रही एंटी बॉडी (antibody) उनके अंगों के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है। ये खुलासा हुआ है मेडिकल कॉलेज में पदस्थ असिस्टेंस प्रोफेसर डॉ श्वेता पाठक और उनकी टीम के द्वारा किए गए शोध से। मेडिकल कॉलेज में भर्ती 46 बच्चो पर किए गए शोध से पता चला है कि 11 बच्चे एमआईएससी से पीड़ित हैं। शोध में यह भी पाया गया कि कोरोना की एंटीबॉडी बच्चों के अन्य अंगों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
बच्चों में मिले दिमागी बुखार और लकवा जैसे रोग
मेडिकल कॉलेज में पदस्थ असिस्टेंट प्रोफेसर श्वेता पाठक की टीम ने अपने शोध में पाया की जिन बच्चों के शरीर में एंटीबॉडी डेवेलप हो रही है, उनके शरीर के अंग प्रभावित हो रहे हैं। इन बच्चों में दिमागी बुखार, कावासाकी बुखार और लकवा जैसे रोग मिले हैं। शिशु रोग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ श्वेता पाठक की इस रिसर्च को पीडियाट्रिक ऑन कॉल जनरल ने प्रकाशित किया।
गर्भ में पल रहे बच्चों को भी हो सकता है नुकसान
मेडिकल कॉलेज में पदस्थ शिशु रोग विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ श्वेता पाठक की मानें तो गर्भ में पल रहे बच्चों को भी एंटीबॉडी से खतरा हो सकता है। उन्होंने बताया कि करीब 80 गर्भ में पल रहे बच्चों के विषय में भी शोध किया तो पाया कि 4 से 5 बच्चों में कोरोना पॉजिटिव लक्षण पाए गए। हालांकि इन बच्चों का एंटीबॉडी टेस्ट नहीं करवाया गया पर यह भी देखा गया है कि जो महिला कभी कोरोना पॉजिटिव रह चुकी हैं, उनके गर्भ में पल रहे शिशु में भी कोरोना के लक्षण देखे गए हैं।
मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग में भर्ती बच्चों पर किए गए शोध से पता चला है कि बच्चों को भी एंटी वायरस का समान खतरा और नुकसान है। इन्हें भी संक्रमण से बचाव की उसी तरह आवश्यकता है, जैसे कि युवाओं और बुजुर्गों को होती है। शोध में यह भी पाया गया है कि 70 फीसदी बच्चों को उनके नजदीकी और 50 फीसदी बच्चों को मां से संपर्क में रहने से संक्रमण हुआ है।