भोपाल।
एमपी में नए पीसीसी चीफ को लेकर अब इंतजार खत्म होने वाला है।जल्द ही कांग्रेस हाईकमान पीसीसी चीफ का ऐलान करने वाली है।खुद प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने इसकी जानकारी दी है।बावरिया के बयान के बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है वही रेस में शामिल कांग्रेस नेताओं की दिलों की धड़कन भी बढ़ गई है। खास बात ये है कि बावरिया ने ऐसे समय में बयान दिया है जब सिंधिया की राज्यसभा जाने की अटकलें जोरों पर है। राजनैतिक तौर पर इन दोनों बातों को जोड़कर देखा जा रहा है।अभी मुख्यमंत्री कमलनाथ दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं, वो पीसीसी चीफ भी हैं।
दरअसल, आज प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश में पिछले एक साल से जारी नए अध्यक्ष की तलाश जल्द खत्म हो सकती है ।बावरिया का कहना है कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के नाम को लेकर सोनिया गांधी ने सब कुछ तय कर लिया है केवल नाम का एलान होना बाकी है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के नाम को लेकर दीपक बाबरिया के बयान ने हलचल तेज कर दी है
फिलहाल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रबल दावेदार बताए जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद से ही उनके नाम की चर्चा जोरों पर है। समर्थक मंत्री और विधायक भी इसका कई बार खुले तौर पर समर्थन कर चुके है। हालांकि दूसरी तरफ सिंधिया के राज्यसभा जाने की अटकलें इन दिनों तेजी से लगाई जा रही है। कहा जा रहा है कि सिंधिया को राज्यसभा भेज हाइकमान समर्थकों और उनके गुटों को शांत कर सकता है, वही पीसीसी चीफ मुख्यमंत्री कमलनाथ के पंसद के किसी व्यक्ति को बनाया जा सकता है।इसके लिए सिंधिया , कमलनाथ और हाईकमान के बीच चर्चा भी हो चुकी है।यही वजह है कि समर्थक मंत्री और नेता अब पीसीसी चीफ के बदले सिंधिया को राज्यसभा भेजे जाने की लगातार मांग कर रहे है।माना जा रहा है कि अगर नाथ के करीबी को पीसीसी अध्यक्ष बन जाता है, तो चार साल में उसके लिए कोई समस्या नहीं होगी। उम्मीद की जा रही है इसका ऐलान जल्द किया जाएगा, ताकी आगे निगम मंडलों की नियुक्ति के काम में भी तेजी आ सके। वही उपचुनाव पर भी सरकार अपनी पकड़ तेज कर सके और संगठन को मजबूती मिले।
चर्चा में इनके नाम
वर्तमान में बाला बच्चन और सज्जन सिंह वर्मा का नाम पीसीसी चीफ के लिए चल रहा है। लेकिन हाईकमान ने एक पद एक फार्मूला होने की बात भी कही थी। अगर इन्हें पीसीसी चीफ बनाया जाता है तो फिर मंत्री पद इनसे वापस लिया जा सकता है। इसके अलावा विधायक कांतिलाल भूरिया, बिसाहूलाल सिंह, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व मंत्री रामनिवास रावत, वन मंत्री उमंग सिंघार के नाम शामिल हैं।