भोपाल/गुना | मध्य प्रदेश में 15 साल सत्ता में वापस लौटी कांग्रेस अब लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है| प्रत्याशी चयन की कवायद तेज हो चली है| उम्मीदवारों पर मंथन किया जा रहा, विधानसभा चुनाव हारे हुए कई दिग्गज नेताओं पर भी पार्टी दांव लगा सकती है, तो वहीं कई दिग्गज नेताओं की पत्नियों के भी चुनावी मैदान में उतरने के कयास लगाए जा रहे हैं| पार्टी किस पर भरोसा जतायेगी यह राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी तय करेंगे| इस बीच मंत्री न बनाये जाने से नाराज चल रहे कांग्रेस विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह ने नेताओं की पत्नियों को चुनाव लड़ाने की खिलाफत की है| उनके इस रुख से पार्टी में हड़कंप मच गया है| इससे पहले उनकी पत्नी भी लक्ष्मण सिंह को मंत्री पद नहीं मिलने की पीड़ा सोशल मीडिया पर जाहिर कर चुकी हैं|
दरअसल, लोकसभा चुनाव से पहले कई दिग्गज नेताओं और उनकी पत्नियों के चुनाव लड़ने की चर्चा तेज हो चली है| पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह विदिशा और उनकी पत्नी अमृता राय के राजगढ़ से चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं| वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शिनी राजे को भी ग्वालियर या गुना सीट से चुनाव लड़ाने की मांग की जा रही है| इस बीच कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने इसको लेकर बड़ा सवाल उठाया है|
हानिकारक होगा पुराने चेहरों, नेताओं की पत्नियों को चुनाव लड़ाना
कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने ट्वीट कर पुराने चेहरों और नेताओं की पत्नियों को चुनाव लड़ाने को पार्टी के लिए हानिकारक बताया है| उन्होंने इस सम्बन्ध में ट्वीट किया है| लक्ष्मण सिंह ने ट्वीट कर लिखा है “लोक सभा चुनाव में नया चेहरा,जो कभी लोक सभा का चुनाव नहीं लड़ा हो,को अवसर देना चाहिये।पुराने चेहरों पर दांव खेलना,हानिकारक होगा।नेताओं की पत्नियों को लड़ाना,अत्यंत हानिकारक होगा”| लक्ष्मण का यह ट्वीट सुर्ख़ियों में हैं| चुनाव से पहले उनका इशारा किस तरफ है इसको लेकर चर्चाये शुरू हो गई है|
पत्नी ने जाहिर की थी मंत्री पद न मिलने की पीड़ा
इससे पहले लक्ष्मण सिंह की पत्नी रुबीना शर्मा सिंह ने ट्वीट कर कमलनाथ कैबिनेट पर सवाल उठाये थे| उन्होंने कमलनाथ सरकार की एक मंत्री को भाषण नहीं पढ़ पाने के कारण घेरते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ को निशाना बनाया था| वहीं विवाद के बाद यह ट्वीट डिलिट किया| लेकिन दूसरे ट्वीट में लक्ष्मण सिंह को 8 बार के विधायक होने के बाद भी मंत्री पद नहीं मिलने की पीड़ा जताई थी| वहीं लक्ष्मण सिंह पहले भी अपनी ही पार्टी पर प्रहार करते रहे हैं| 2003 में जब मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह चुनाव हारे थे तो लक्ष्णण सिंह फौरन पाला बदलकर भाजपा में शामिल हो गए थे| वहां से कांग्रेस पर प्रहार करते रहे. भाजपा के टिकट पर वे राजगढ़ से सांसद बन गए| 2009 के लोकसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह ने किसी और को न सिर्फ टिकट दिलाया बल्कि उसे जिताने में अपनी ताकत भी लगा दी| लक्ष्मण सिंह ने 2013 में भाजपा अध्यक्ष नितिन गड़करी के बयान से नाराज़ होकर फिर कांग्रेस में वापसी की| दिग्विजय सिंह ने फिर उनका पुनर्वास कांग्रेस में करवाया| लक्ष्मण सिंह को विदिशा लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी सुषमा स्वराज के खिलाफ मैदान में उतारा| वे चुनाव हार गए लेकिन प्रतिष्ठापूर्ण सीट होने के कारण कांग्रेस में उनकी जगह बन गयी| इस बार चाचौड़ा विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी ) प्रत्याशी ममता मीना और को हराकर लक्ष्मण सिंह चुनाव जीत गए लेकिन उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया| इसको लेकर उनके समर्थक नाराज चल रहे हैं| इस बीच उन्होंने ट्वीट कर हलचल बढ़ा दी है|