आज पंचतत्व में विलीन होंगे डॉ. मनमोहन सिंह, अंतिम दर्शन के लिए कांग्रेस मुख्यालय पर जुटी भीड़

उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए कई बड़े नेता पहुँच रहे हैं। उनके जाने से भारतीय राजनीति के एक अध्याय का अंत हो गया। वे ऐसे मितभाषी विद्वान थे जिनके कार्यकाल में भारत की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा मिली। जब भारत गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था उस समय वित्तमंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने कई अहम कदम उठाए। इसके बाद वे दस साल पर प्रधानमंत्री पद पर रहे। वे सादगी, ईमानदारी और कुशल नेतृत्व का आदर्श उदाहरण थे। भारतीय राजनीति और देश के विकास में उनका योगदान अविस्मरणीय रहेगा।

Shruty Kushwaha
Published on -

Dr. Manmohan Singh Last Rites with State Honors : भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ आज दिल्ली के निगमबोध घाट पर किया जाएगा। इससे पहले उनके पार्थिव शरीर को दिल्ली मुख्यालय में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी सहित कई नेताओं ने यहां पहुंच पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

उनके निधन पर सात दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है। इसी के साथ उनकी स्मृति में एक स्मारक भी बनाया जाएगा। 26 दिसंबर को 92 वर्ष की आयु में दिल्ली के एम्स में उन्होंने अंतिम सांस ली। बता दें कि कांग्रेस से डॉ. मनमोहन सिंह गांधी-नेहरू परिवार के बाहर के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने लगातार 10 वर्षों तक (2004 से 2014 तक) प्रधानमंत्री पद संभाला।

डॉ मनमोहन सिंह: एक कुशल अर्थशास्त्री, विद्वान राजनेता

भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने मे डॉ मनमोहन सिंह का अतुलनीय योगदान रहा है। उनका जन्म 26 सितंबर 1932 को ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के गाह गांव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। विभाजन के समय उनका परिवार भारत आ गया। मनमोहन सिंह ने अपने करियर की शुरुआत एक अर्थशास्त्री के रूप में की। वे पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्राध्यापक रहे। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) में भी सलाहकार के रूप में सेवाएं दीं। 1971 में वे भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार नियुक्त हुए और 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बने। बाद में वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे।

वित्त मंत्री के रूप में देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी

1991 में जब भारत गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी. नरसिम्हा राव ने डॉ. सिंह को वित्त मंत्री नियुक्त किया। डॉ. मनमोहन सिंह ने उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG) की नीतियों को लागू किया, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को नया जीवन मिला। उन्होंने आयात-निर्यात नीति को सरल बनाया, विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया, और भारतीय बाजार को वैश्विक मंच के लिए खोला। उनकी 1991 की बजट स्पीच आज भी ऐतिहासिक मानी जाती है, क्योंकि यह भारत के आर्थिक सुधारों की शुरुआत का प्रतीक थी।

दस साल तक रहे प्रधानमंत्री

साल 2004 में डॉ. मनमोहन सिंह भारत के 13वें प्रधानमंत्री बने और 2009 में दुबारा इस पद पर आसीन हुए। जिससे वे जवाहरलाल नेहरू के बाद पहले ऐसे प्रधानमंत्री बने जिन्होंने लगातार दो कार्यकाल पूरे किए। साथ ही कांग्रेस पार्टी से गांधी-नेहरी पार्टी के अलावा इतने लंबे समय पर प्रधानमंत्री पद पर रहने वाले पहले व्यक्ति भी बने। उनके नेतृत्व में भारत ने आर्थिक विकास, सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मजबूती हासिल की। डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन और उनका योगदान भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसे देश हमेशा याद रखेगा।

 


About Author
Shruty Kushwaha

Shruty Kushwaha

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

Other Latest News