भोपाल। ई-टेंडरिंग घोटाले में सबसे पहले गड़बड़ी जल संसाधन विभाग में सामने आयी थी| उस समय सरकार में मंत्री रहे और बीजेपी के सीनियर नेता नरोत्तम मिश्रा ने ई टेंडरिंग घोटाले में हुई एफआईआर को ध्यान भटकाने की कोशिश बताया है। नरोत्तम मिश्रा ने कहा है इस मामले में सबसे पहले गड़बड़ी उनकी सरकार ने पकड़ी थी, जिसके बाद टेंडर निरस्त किये गए जब पैसे का लेनदेन नहीं हुआ तो घोटाला कैसा|
नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि इस मामले में घोटाला नहीं गड़बड़ी हुई थी जिस पर कार्यवाही उनकी सरकार ने की| नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि उन्होंने पहली बार देखा है कि एफआईआर में किसी अधिकारी और मंत्री का नाम नहीं है अगर घोटाला हुआ है तो नाम सामने लेकर आये| नरोत्तम मिश्रा ने आरोप लगया कि सरकार बनाने के 4 महीने बाद कार्यवाही की याद क्यों आयी वो भी जब प्रदेश में आई टी के छापे पड़े।
बता दें कि मध्यप्रदेश के बहुचर्चित ई-टेंडरिंग घोटाले में पांच विभागों के 9 टेंडरों में 3000 करोड़ का ई-टेंडरिंग घोटाला हुआ है| जिन विभागों में ये घोटाला हुआ है उन विभागों की जिम्मेदारी कुसुम मेहदेले, नरोत्तम मिश्रा और रामपाल पर थी| ईओडब्ल्यू ने इस पूरे घोटाले मामले में अज्ञात राजनेताओं पर एफआईआर दर्ज की है| वहीं ईओडब्ल्यू की माने तो जल निगम और पीएचई ऐसे विभाग है जहां सबसे ज्यादा घोटाला हुआ है|