साध्वी प्रज्ञा vs दिग्विजय सिंह का मुकाबला, देश भर में चर्चा में रहेगा भोपाल का चुनाव

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भोपाल| मध्य प्रदेश की सबसे हाई-प्रोफाइल सीट भोपाल से कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता दिग्विजय सिंह को टक्‍कर देने के लिए बीजेपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को चुनावी मैदान में उतारा है| साध्वी प्रज्ञा के नाम पर राष्ट्रीय नेतृत्व से लेकर प्रदेश स्तर तक सहमति के बाद यह फैसला लिया गया है। बुधवार सुबह ही साध्वी प्रज्ञा भोपाल स्थित प्रदेश भाजपा कार्यालय भी पहुंचीं थीं। दिग्विजय के नाम के ऐलान के बाद से ही भाजपा प्रत्याशी की घोषणा का इन्तजार किया जा रहा था| इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उमा भारती, आलोक संजर, आलोक शर्मा, वीडी शर्मा समेत अन्य नाम भी सामने आये| लेकिन अंतिम समय में साध्वी का नाम आगे आया और दो दिन में बदले घटनाक्रम में साध्वी को भाजपा की सदस्यता दिलाते हुए स्वागत कर दिया और उनके नाम का ऐलान भी हो गया| हालाँकि उनका नाम दिग्विजय के नाम की घोषणा के बाद से ही चर्चा में था| अब दोनों ही पार्टियों की घोषणा के बाद मुकाबला दिलचस्व हो गया है|  

पार्टी ने नफा-नुकसान के बारे में सोच कर ही यह फैसला लिया है। साध्वी प्रज्ञा की छवि कट्टर हिंदूवादी की तौर पर रही है और दिग्विजय को वो अपना दुश्मन बताती हैं| जिस तरह के दिग्विजय पर आरोप लगते हैं, उसके उलट रणनीति भाजपा प्रयोग करेगी| भाजपा नेता दिग्विजय और हिन्दू विरोधी नेता बताते आये हैं| ऐसे में उनके सामने कट्टर हिन्दू छवि की नेता साध्वी चुनावी मैदान में होंगी तो वोटों का ध्रुवीकरण देखने को मिल सकता है। 2008 में मालेगांव ब्लास्ट में आरोपी साध्वी प्रज्ञा को पिछले साल ही एनआईए कोर्ट सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। 

तीखे बयानों की छिड़ेगी जंग 

2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में गिरफ्तारी के बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का नाम पहली बार चर्चाओं में आया था. इस मामले में वह जेल में भी रहीं | साल 2017 में सबूतों के अभाव में एनआईए ने अदालत से उन्हें जमानत देने पर एतराज न होने की बात कही जिसके बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को बड़ी राहत देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया। वो 9 साल जेल में रहने के बाद बाहर आईं। साध्वी अपने तीखे बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहीं। उन्होंने तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम पर ‘भगवा आतंकवाद’ शब्द गढ़ने का भी आरोप लगाया। 2018 में गुजरात में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को ‘इटली वाली बाई’ कह दिया था। मध्यप्रदेश के भिंड में जन्मी साध्वी प्रज्ञा के पिता आयुर्वेदिक डॉक्टर थे और संघ से जुड़े थे। जिसकी वजह से प्रज्ञा ठाकुर का झुकाव बचपन से ही संघ की ओर हो गया। इतिहास विषय से परास्नातक प्रज्ञा ने संघ के संपर्क में आने के बाद संन्यास ले लिया। भोपाल सीट से इस बार दोनों ही ऐसे नेता चुनाव लड़ रहे हैं जो तीखे बयानों के लिए जाने जाते हैं| जिससे यह तय है कि आने वाले समय में जमकर जुबानी हमले होंगे| 

राजनीति के चाणक्य से साध्वी का पहला मुकाबला  

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर अपने भाषणों के लिए भी सुर्ख़ियों में रही| हिन्दू विरोधी और देश विरोधी ताकतों पर हमला बोलते हुए उन्होंने कांग्रेस के कई नेताओं पर बड़े हमले बोले हैं| जिनमे से एक दिग्विजय सिंह भी हैं| वो उन्हें राष्ट्रविरोधी ही मानती हैं और अपना दुश्मन बताती हैं|  छात्र नेता प्रज्ञा ठाकुर ने अचानक एबीवीपी छोड़कर अवधेशानंद महाराज के प्रभाव में साध्वी बन गईं थी। गांव-गांव जाकर हिंदुत्व का प्रचार करने लगीं। उन्होंने अपनी कार्यस्थली सूरत को बनाया और वहीं पर एक आश्रम भी बनवाया। हिंदुत्व के प्रचार के कारण वह भाजपा नेताओं को प्रभावित करने लगीं और धीरे-धीरे राजनीति में उनका वर्चस्व बढ़ता गया और अब लोकसभा का टिकट भी मिल गया| हालाँकि उनका मुकाबला राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले दिग्विजय सिंह है जो पैदल नर्मदा परिक्रमा कर चुके हैं और कांग्रेस के नेता भी भाजपा के आरोपों पर पलटवार करते हुए उन्हें सबसे बड़ा हिन्दू बताते हैं|   


कौन है साध्वी प्रज्ञा

साध्वी प्रज्ञा, मध्य प्रदेश के एक मिडिल क्लास परिवार से हैं। वर्तमान में प्रज्ञा ठाकुर भोपाव के रुवेर टाउन स्थित अपने मकान में रहती है। शुरुआत में वह संघ और विहिप से जुड़ गईं, जिसके बाद उन्होंने सन्यास ले लिया। 23 अक्टूबर 2008 में हुए मालेगांव बम ब्लास्ट में उन्हें शक के आधार पर गिरफ्तार किया गया। 25 अप्रैल 2017 में सबूत न होने के कारण उन्हें जमानत दे दी गई। हाल ही में उन्हें इस मामले में दोषमुक्त करार दे दिया गया। वह आरएसएस की छात्र इकाई एबीवीपी की सक्रिय सदस्य भी रह चुकी हैं। इसके बाद उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद छोड़ दिया और वह साध्वी बन गई। गांव-गांव जाकर हिन्दुत्व का प्रचार करने लगी। उन्होंने अपनी कार्यस्थली सूरत को बनाया और वहीं पर एक आश्रम भी बनवाया। हिन्दुत्व के प्रचार के कारण वह बीजेपी के नेताओं को प्रभावित करने लगी और राजनीति में उनका वर्चस्व बढ़ता गया।साध्वी प्रज्ञा ठाकुर अब आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी पूर्णचेतनानंद गिरी के नाम से जानी जाती हैं।


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