भोपाल। मध्य प्रदेश में बीजेपी 29 सीटों में से 28 पर बढ़त बनाये हुए हैं| वहीं गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट पर चौकाने वाले परिणाम सामने आये हैं| गुना से कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का किला ढहाने में बीजेपी को पहली बार सफलता मिली है। इस सीट पर आज तक गैर सिंधिया घराने का कोई उम्मीदवार नहीं टिका। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इतिहास रच दिया है। बीजेपी प्रत्याशी केपी यादव ने इस सीट पर एक लाख 25 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की है। एग्जिट पोल में भी इस सीट पर ख़तरा बताया था| सिंधिया रियासत के भारत में विलय के बाद यहां राजमाता विजयराजे सिंधिया कांग्रेस में शामिल हो गईं थीं। इंदिरा गांधी से पटरी नहीं बैठ पाने के कारण वे जनसंघ में शामिल हो गईं। समय के साथ सिंधिया परिवार राजनीतिक रूप से बंट गया। उनके बेटे माधवराव सिंधिया भाजपा छोड़कर कांग्रेस में चले गए थे। यह पहली बार है जब गुना सीट से सिंधिया चुनाव हारे हैं|
कभी सिंधिया के साथ सेल्फी लेने की थी चाह
लोकसभा चुनावों के रुझानों से जहाँ भाजपा और उसके सहयोगी दलों में ख़ुशी की लहर है तो कांग्रेस और उसके सहयोगियों में निराशा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया को टक्कर देने वाले केपी यादव कभी सिंधिया के ही कार्यकर्ता थे। कभी वो सिंधिया के साथ सेल्फी लेने के लिए उनकी गाड़ी के आगे दौड़ लगाते थे और आज उन्होंने सिंधिया को 2019 के महाभारत में पटकनी दे दी है। गौरतलब है कि कभी सिंधिया के ख़ास सिपहसालार रहे यादव को विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया था। जिसके बाद उन्हें भाजपा ने टिकट दिया लेकिन वो चुनाव हार गए। अब लोकसभा में भाजपा ने केपी यादव को सिंधिया के सामने खड़ा किया और उन्होंने बीजेपी के लिए सबसे कठिन राह को आसान करते हुए सिंधिया के गढ़ में सेंध लगा दी है| निश्चित ही अब केपी यादव का कद बढ़ गया है, क्यूंकि भाजपा यहाँ कई प्रयोग कर चुकी थी, लेकिन सिंधिया के सामने कोई जीत नहीं सका| लेकिन सिंधिया के ही कुनबे में शामिल रहे यादव ने सिंधिया को शिकस्त दे दी| सोशल मीडिया पर केपी यादव का एक फोटो इस समय वायरल हो रहा है। जिसमें उन्हें लाल घेरे में सिंधिया की गाड़ी के सामने सेल्फी लेते दिखाया गया है।
सिंधिया के लिए बड़ा झटका
गुना लोकसभा सीट पर तीन पीढ़ियों से सिंधिया घराने का कब्जा रहा है । ग्वालियर के बाद गुना ही वह लोकसभा सीट है, जहां से सिंधिया परिवार चुनाव लड़ना पसंद करता है। इस सीट से सांसद ज्योतिरादित्य की दादी विजयराजे सिंधिया और पिता माधवराव सिंधिया ने निर्दलीय चुनाव जीतकर इतिहास रचा था। पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में भी गुना सीट से ज्योतिरादित्य ने भाजपा नेता और प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया को एक लाख 20 हजार 792 वोटों से शिकस्त दी थी। सिंधिया घराने के गढ़ में भाजपा ने कई बार सेंध लगाने की कोशिश की, लेकिन विजयाराजे सिंधिया के बाद से भाजपा को यहां पर कोई ऐसा उम्मीदवार नहीं मिला, जो माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया को हरा सके। लेकिन इस बार बीजेपी सफल हो गया| सिंधिया परिवार की तीन पीढ़ियों को गुना लोकसभा सीट से 14 बार सांसद के तौर जनता ने चुनकर भेजा है। सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी विजयाराजे सिंधिया छह बार गुना से सांसद रहीं, तो उनके पिता माधवराव चार बार चुने गए। ज्योतिरादित्य भी चार बार गुना लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। ऐसी स्तिथि में यह हार काफी बड़ी हार मानी जा रही है|
माधवराव के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया
2001 में माधवराव सिंधिया के निधन के बाद 2002 में हुए उपचुनाव में उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां से लड़े। ज्योतिरादित्य 2002 से 2014 के बीच हुए सभी लोकसभा चुनाव में जीते।
दोनों लोकसभा क्षेत्रों से कब-कब जीता सिंधिया परिवार का सदस्य
गुना : 1957 विजयाराजे सिंधिया(कांग्रेस), 1967 विजयाराजे सिंधिया(स्वतंत्रता पार्टी), 1971 माधवराव सिंधिया(जनसंघ), 1977 माधवराव सिंधिया(निर्दलीय), 1980 माधवराव सिंधिया(कांग्रेस), 1989 से 1998 तक विजयाराजे सिंधिया(भाजपा), 1999 माधवराव सिंधिया(कांग्रेस), 2004 से 2014 तक ज्योतिरादित्य सिंधिया(कांग्रेस)