कचरा लाओ खाना खाओ : इस अनोखे Garbage Cafe में कचरे के बदले मिलता है भरपेट भोजन, जानिए ‘कचरा कैफे’ की डिटेल्स

ये सिर्फ एक कैफे नहीं, बल्कि विचार है। विचार जो समाज और पर्यावरण दोनों के पक्ष में है। इस विचार को अमलीजामा पहनाया गया है ताकि समाज के हाशिए पर खड़े लोगों को आसानी से भोजन मुहैया कराया जा सके, साथ ही प्लास्टिक वेस्ट भी कम हो। दुनिया के कई हिस्सों में पर्यावरण संरक्षण के लिए ऐसी ही अनूठी मुहिम चलाई जा रही है और ये 'गार्बेज कैफे' भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है।

Ambikapur Garbage Cafe

Garbage Cafe, A Unique Initiative : अब तक हमें किसी रेस्टॉरेंट या कैफे में जाकर कचरा न फैलाने की सलाहियत ही मिलती आई है। लेकिन क्या आप विश्वास करेंगे कि किसी कैफे में जाकर ‘कचरा’ देने पर आपको भरपेट भोजन मिल सकता है। ये बात आपको हैरान कर सकती है लेकिन वास्तव में एक ऐसा कैफे है जहां आपको कचरा देने के बाद खाने के लिए किसी तरह का पेमेंट नहीं करना होता है।

यहां लोगों को प्लास्टिक वेस्ट के बदले भोजन दिया जाता है। एक किलो प्लास्टिक कचरा जमा करने पर एक टोकन मिलता है और इस टोकन के बदले में भोजन लिया जा सकता है। ये अनोखा ‘गार्बेज कैफे’ छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में है। इस कैफे के माध्यम से प्लास्टिक कचरे का पुनः उपयोग और रिसाइक्लिंग सुनिश्चित की जा रही है, जिससे शहर की स्वच्छता को भी बढ़ावा मिलता है।

क्या है Garbage Cafe

इस Garbage Cafe का संचालन अंबिकापुर नगर निगम द्वारा किया जाता है। छत्तीसगढ़ का ये ‘कचरा कैफे’ एक अभिनव पहल है, जिसके माध्यम से लोगों को प्लास्टिक वेस्ट कम करने के लिए जागरूक किया जाता है। ये योजना खासतौर पर गरीबी और भूखमरी से जूझने वाले लोगों के लिए शुरु की गई है। साथ ही इससे शहर को स्वच्छ रखने में भी मदद मिलती है। प्लास्टिक वेस्ट को कम करना पर्यावर्ण हितैषी कदम भी है। इस तरह ये ‘गार्बेज कैफे’ कई उद्देश्यों को एक साथ साध रहा है।

समाज और पर्यावरण, दोनों के हित में ‘कचरा कैफै’

इस कैफे की शुरुआत साल 2019 में शुरू हुई थी। कचरा कैफे में जो लोग एक किलो या इससे अधिक प्लास्टिक कचरा लेकर आते हैं उन्हें गर्म और ताजा भोजन जैसे कि दाल, चावल, आलू-गोभी या अन्य सब्जी निशुल्क प्रदान की जाती है। इस प्लास्टिक वेस्ट में प्लास्टिक थैली या अन्य कोई भी सामान हो सकता है। एक किलो वेस्ट के बदले उस शख्स को टोकन या फूड कूपन दिया जाता है, जिसके बदले में वो भोजन प्राप्त कर सकता है। इस प्रकार, यह कचरा कैफे न केवल प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने का एक उपाय है बल्कि यह समाज के कमजोर वर्गों को सहारा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। अंबिकापुर नगर निगम द्वारा संचालित गार्बेज कैफे वास्तव में दो समस्याओं का समाधान कर रहा है..एक ओर जहां यह प्लास्टिक कचरे की समस्या को हल कर रहा है, वहीं दूसरी ओर यह भूखमरी और समाज के हाशिए पर खड़े लोगों के लिए भोजन मुहैया करा रहा है।

 


About Author
श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

Other Latest News