कांग्रेस हारी तो अफसरों के सिर फूटेगा ठीकरा, इन विभागों पर गिरेगी गाज

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भोपाल। मध्य प्रदेश में एग्जिय पोल के नतीजों से सियासत उबाल पर है। बीजेपी ने कमलनाथ सरकार को अल्पमत में होने के साथ ही सरकार गिराने के भी संकेत दिए हैं। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से लेकर पार्टी के कई दिग्गज नेता इस बात की ओर इशारा कर चुके हैं कि कांग्रेस के कई विधायक उनके संपर्क में हैं। वहीं, कांग्रेस सरकार में बने रहने के साथ ही उन अफसरों से निपटने की भी चुनौती है जिन पर चुनाव के दौरान बीजेपी के पक्ष में काम करने के आरोप लगे हैं। 

दरअसल, सांगठनिक तौर पर कमज़ोर कांग्रेस नेता अपनी हर की ठीकरा अब अफसरों के सर फोड़ने वाले हैं। इसके लिए प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में लगातार बड़ी मात्रा में अफसरों के खिलाफ शिकायते पहुंच रही हैं। अफसरों और कर्मचारियों के असहयोग और खराब रवैये को लेकर कांग्रेस नेता निराश हैं। वह अफसरों पर भाजपा के पक्ष में काम करने का आरोप भी लगा रहे हैं। सबसे अधिक अगर शिकायते किसी विभाग की मिली हैं तो वह है बिजली विभाग। एमपीईबी के अफसरों को लेकर सबसे अधिक कांग्रेस नेताओं में आक्रोश है। इसके अलावा डीएफओ पीठासीन अधिकारियों के खिलाफ भी दर्जनों शिकायतें हैं। 

इन शिकायतों की पुष्टि संगठन उपाध्यक्ष चंद्र प्रभाष शेखर ने की है। उन्होंने बताया कि शिकायतों का सिलसिला अभी शुरू हुा है। इस तरह की और भी कई शिकायतें आनी बाकी हैं। जिला कांग्रेस कमेटियों और क्षेत्रिय क्षत्रपों की ओर से लगातार शिकायतें आ रही हैं कि अफसरों और कर्मचारियों ने चुनाव में भाजपा के पक्ष में काम किया है। पीसीसी कार्यालय में पहुंची शिकायतों में बुरहानपुर के डीएफओ, रीवा स्कूल शिक्षा विभाग के डीईओ, मऊ के बाल विकास अधिकारी, टीकमगढ़ से पीठासीन अधिकारियों और इंदौर रतलाम समेत आधा दर्जन जिलों में एमपीईबी अफसरों के खिलाफ शिकायत मिली है। बिजली विभाग के अफसरों पर अघोषित बिजली कटौती करने का आरोप है। जिससे जनता के बीच सरकार की छवि खराब हुई है। 

प्रदेश में कांग्रेस से नाराज किसान

देश के किसानों का एक बड़ा तबका ऐसा था जिसने दो लाख रूपये की कर्ज माफी के कारण कांग्रेस का साथ दिया था. लेकिन चुनाव में यह कर्जमाफी ही कमलनाथ सरकार को भारी पड़ गई. कर्जमाफ नहीं होने के आरोप सरकार पर लगातार लगते रहे. खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में लोगों की नाराजी और असंतोष दिखाई दे रहा था. जिनके दम पर कांग्रेस ने प्रदेश में सरकार बनाई थी। संगठन के मुद्दे पर बात करें तो पूरे चुनाव में कांग्रेस अप्रभावशाली दिखाई दी. मुख्यमंत्री रहते हुए कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. वे संगठन और सरकार दोनों को चला रहे थे. प्रदेश प्रभारी के बतौर मध्यप्रदेश में काम कर रहे दीपक बाबरिया कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खास हैं. लेकिन वे बीमार होने के बाद पिछले दो महीनों से प्रदेश में नहीं है. कांग्रेस के बड़े नेता जिन्हें अपने अपने इलाके में चुनावी कमान दी जानी थी वे सभी चुनाव लड़ रहे थे. स्वयं कमलनाथ अपने बेटे नकुलनाथ के साथ मैदान में थे. दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अजय सिंह, अरूण यादव पूरे समय अपने इलाकों में उलझे रहे.


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