गुना। मध्य प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीटों में से एक गुना लोक सभा संसदीय क्षेत्र में शुरूआती रुझान कांग्रेस के पक्ष में नहीं आ रहे हैं। यह चौकाने वाला है कि शुरुआती रुझानों में ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां से पीछे चल रहे हैं| भाजपा ने सिंधिया को मात देने के लिए उनके सबसे करीबी शख्स को टिकट दिया और शुरुआती रुझान में उसका असर भी नजर आ रहा है। सिंधिया बीजेपी प्रत्याशी केपी यादव से करीब एक लाख वोटों से पीछे चल रहे हैं। बता दे कि इस सीट पर छठे चरण में 12 मई को वोटिंग हुई थी, जिसमें क्षेत्र के कुल 1674676 वोटरों में से 70.02 फीसदी ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।
इसी बीच मीडिया से चर्चा के दौरान शुरुआती रुझान में बढ़त मिलने पर भाजपा उम्मीदवार केपी यादव काफी खुश नजर आए और उन्होंने कहा कि, ये चुनाव जनता लड़ रही है और सबको पता है मोदी जी देश के विकास में क्या क्या काम किए है।सबका एक ही मकसद है नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाना है। वहीं भाजपा उम्मीदवार ने इस बार अपनी जीत का दावा भी जताया और कहा कि हजारों से तो हम विधानसभा में ही जीत गए थे और अब लाखों में जीत दर्ज करेंगें, शाम होते होते आठों विधानसभाओं में बढत मिलेगी। आप भी देख लीजिएगा।इस बढती हुई लीड को देखते हुए गुना में जश्न का माहौल है, मिठाईयां बांटी जा रही है, आतिशबाजियां की जा रही है, चारों और मोदी मोदी के नारे लग रहे है। हर कोई मोदी के रंग में डूबा हुआ है।
आपको बता दे कि गुना लोकसभा सीट सिंधिया परिवार का गढ़ है। इस सीट पर सिंधिया राजघराने के सदस्य का ही दबदबा रहा है। ग्वालियर के बाद गुना ही वो लोकसभा सीट है, जहां से सिंधिया परिवार चुनाव लड़ना पसंद करता है। ‘ग्वालियर की राजमाता’ विजयाराजे सिंधिया, माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया ही इस सीट पर जीतते आए हैं। फिलहाल पिछले 4 चुनावों से इस सीट पर कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया को जीत मिली है।कांग्रेस ने एक बार फिर से ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव मैदान में उतारा है।वही बीजेपी ने केपी यादव पर दावं लगाया है।
जीतता रहा है सिंधिया परिवार-इस बार बदलेगा इतिहास?
2014 की मोदी लहर में भी इस सीट को बीजेपी बचा नहीं पाई थी। 2014 में ज्योतिरादित्य ने बीजेपी के जयभान सिंह को 120792 वोटों से हराया था। पिछले 4 बार से ज्योतिरादित्य इस सीट पर जीतते रहे हैं। बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने डॉ केपी यादव को मैदान में उतारा है। डॉक्टर केपी यादव पहले कांग्रेस में ही थे और सिंधिया की जीत के राजदार रहे थे। लेकिन पिछले उपचुनाव में अपनी अनदेखी के बाद वह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए, ऐसे मे मुकाबला और भी रोचक हो गया है, देखना दिलचस्प होगा की कौन जीत हासिल करता है। सिंधिया घराने के गढ़ में भाजपा ने कई बार सेंध लगाने की कोशिश की, लेकिन विजयाराजे सिंधिया के बाद से भाजपा को यहां पर कोई ऐसा उम्मीदवार नहीं मिला, जो माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया को हरा सके। लेकिन इस बार स्तिथि उलट सकती है।