भोपाल/ग्वालियर। ग्वालियर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए विवेक नारायण शेजवलकर ने महापौर पद से इस्तीफा दे दिया है| उन्होंने ग्वालियर के संभागीय आयुक्त को अपना इस्तीफा सौंप दिया है| शेजवलकर का महापौर पद पर यह दूसरा कार्यकाल था। इससे पहले वे 2005 से 2009 तक इस पद पर रहे थे। लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा और सांसद बने| उनकी जीत के साथ ही इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि शेजवलकर सांसद बने रहेंगे और महापौर का पद छोड़ देंगे|
भाजपा सांसद के इस्तीफे के बाद लोकसभा चुनाव में हारी कांग्रेस की नजर अब मेयर की कुर्सी पर है। चूंकि मेयर और सांसद दोनों ही पद लाभ की श्रेणी में आते हैं, इसलिए उन्हें एक पद छोड़ना था। बताया जा रहा है कि प्रदेश में नवंबर में नगर निकाय के चुनाव हो सकते हैं। ऐसे में कुछ वक्त के लिए सही, सबकी निगाहें मेयर की कुर्सी पर बनी हुई है।
सांसद या महापौर को गाड़ी, बंगला सहित अन्य सरकारी सुविधाएं मिलती हैं। अर्थात दोनों पद लाभ के हैं। नियमों के तहत उन्हें एक पद अथवा एक पद की सारी सुविधाएं छोड़ना पढ़ती। शेजवलकर ने सांसद की कुर्सी को चुना है| लोकसभा चुनाव में विवेक शेजवलकर ने कांग्रेस प्रत्याशी अशोक सिंह को 1 लाख 46 हजार 842 वोटों से हराया था। शेजवलकर को 6 लाख 27 हजार 250 वोट मिले और अशोक सिंह को 4 लाख 80 हजार 408 वोट मिले थे।1980 में भारतीय जनता पार्टी से विवेक शेजवलकर के पिता नारायण कृष्ण शेजवलकर और अशोक सिंह के पिता राजेंद्र सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे। जिसमें नारायण कृष्ण शेजवलकर ने राजेंद्र सिंह को 25 हजार वोटों से हराया था।
डामोर ने भी चुनी सांसद की कुर्सी, विधायकी छोड़ी
इससे पहले रतलाम-झाबुआ सीट से सांसद चुने गए जीएस डामोर ने भी विधायक पद से इस्तीफा दिया था। वो पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में झाबुआ सीट से विधायक निर्वाचित हुए थे। इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें रतलाम-झाबुआ सीट से चुनाव लड़ाया था। जिसमें उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता कांतिलाल भूरिया को शिकस्त दी थी। उन्हें भी नियमों के तहत लाभ के इन दो पदों में से किसी एक को छोड़ना था। प्रदेश के सियासी मिजाज को देखते हुए इस बात की संभावना कम थी कि वो विधायकी छोड़ें। लेकिन मंगलवार को उन्होंने पार्टी अध्यक्ष की मौजूदगी में विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था।