भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ के शपथ समारोह में प्रशासनिक लापरवाही की वजह से अव्यवस्थाओं का आलम देखने को मिला। सड़क से लेकर मंच तक प्रशासनिक व्यवस्था में चूक दिखाई दी। शपथ समारोह स्थल जंबूरी मैदान की ओर जाने वाले सभी प्रमुख मार्गों पर जाम के हालात बने। वहीं समारोह स्थल पर प्रशासन ने अलग-अलग बैठक व्यवस्था की, लेकिन प्रशासनिक ढील की वजह से अव्यवस्था फैली। मंत्री पद की दौड़ में शामिल विधायकों को भी बैठने की जगह नहीं मिली। ज्यादातर व्हीव्हीआईपी को खड़े होकर शपथ समारोह में शामिल होना पड़ा।
शपथ समारोह पर लोगों के बैठने के लिए प्रशासन ने 25 हजार लोगों के लिए बैठने की व्यवस्था की थी। इसके लिए अलग-अलग आमंत्रण पत्र जारी किए गए थे। लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं को नियंत्रण करने में प्रशासन पूरी तरह से फेल रहा। सभी कार्यकर्ता मंच के सामने आ गए। डोम के पीछे लगी कुर्सियां खाली पड़ी रहीं। गलियारों में कार्यकर्ताओं की भीड़ जमा हो गई। व्हीव्हीआईपी के लिए आरक्षित सीटों को कार्यकर्ताओं ने घेर लिया। मंच से बार-बार आग्रह के बावजूद भी कार्यकर्ताओं ने कुर्सी खाली नहीं। ऐसे में कई व्हीआईपी को खड़े रहना पड़ा।
अफसरों को संतों के साथ बैठना पड़ा
कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भीड़ ने प्रशासनिक अफसरों के लिए आरक्षित सीटों को भी घेर लिया। ऐसी स्थिति में कई पुलिस एवं प्रशासनिक अफसरों को संतों के साथ बैठना पड़ा। जब संतों की भीड़ ज्यादा हो गई तो अफसर संतों के बीच घिर गए। किसी तरह पुलिस के जवानों ने अफसरों को बाहर निकाला। हालांकि इस दौरान उनका संतों से विवाद भी हुआ।
समरोह में कुर्सियों पर खड़े रहे कार्यकर्ता
अव्यवस्थाएं इतनी ज्यादा थी कि कार्यकर्ताओं ने कुर्सी पर खड़े होकर शपथ समारोह देखा। हालांकि इस दौरान कार्यकर्ताओं के बीच विवाद की स्थिति बनी। कई कार्यकर्ताओं ने कुर्सियों को भी तोड़ दिया। महिला कार्यकर्ताओं के साथ धक्का-मुक्की भी हुई। जिसको लेकर उन्होंने नाराजगी भी जताई। हालांकि भीड़ में शामिल महिलाएं ज्यादा विरोध दर्ज नहीं करा पार्इं।
प्रमुख मार्गों पर लगा रहा जाम
जंबूरी मैदान की ओर जाने वाले प्रमुख मार्गों पर जाम की स्थिति बनी रही। समारोह स्थल पर पार्किंग में भी जाम के हालात बने। चेतक ब्रिज से लेकर जंबूरी मैदान तक पहुंचने वाले मार्ग पर सबसे ज्यादा वाहन फंसे रहे। कई वाहन चालक सड़क किनारे वाहन खड़े कर कार्यक्रम स्थल पर पैदल ही पहुंचे। खास बात यह है कि यातायात व्यवस्था संभालने के लिए पुलिस की तैयारियों पूरी तरह से फेल रहीं। पुलिस जवान सिर्फ व्हीआईपी को निकालने में ही लगे रहे।