इंदौर: BJP प्रदेश प्रभारी ने दिखाए तीखे तेवर, पदाधिकारियों को लगाई फटकार, जताई नाराजगी

Kashish Trivedi
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इंदौर, आकाश धोलपुरे नगरीय निकाय चुनाव की तैयारियों के साथ ही आगामी रणनीति को लेकर प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में बीजेपी की बड़ी बैठक इंदौर में शुरू हो गई है लेकिन एक दिन पहले की बैठक की चर्चा भी आज की बैठक में हो रही है। दरअसल, इंदौर के बीजेपी कार्यालय में बीजेपी के प्रदेश प्रभारी पी.मुरलीधर राव ने शनिवार को पदाधिकारियों और पूर्व पार्षदों की बैठक ली थी।

पहली बार इंदौर पहुंचे प्रभारी मुरलीधर राव ने बीजेपी कार्यालय में बैठक के दौरान नदारद रहे पूर्व पार्षदों और पदाधिकारियों की जमकर खिंचाई और कड़ी फटकार भी लगाई। बता दे कि इंदौर पिछली परिषद में बीजेपी के 65 पार्षद जीते थे लेकिन बैठक में केवल 27 ही पहुंचे वही शहर ईकाई के 24 पदाधिकारियों में से केवल 12 पदाधिकारी ही पहुंचे और 28 मंडल अध्यक्षो में से 16 और 56 मंडल महामंत्रियों में से केवल 24 ही उपस्थित रहे।

फिर क्या था नगरीय निकाय चुनाव को बीजेपी कार्यालय में हुई बैठक में प्रदेश संगठन प्रभारी पी.मुरलीधर राव तीखे तेवर दिखाए और मौजूद पूर्व पार्षदों की नाम के साथ गिनती कराई और जो पूर्व पार्षद नही आये उन पार्षदों को व्यंग्यात्मक फटकार लगाते हुए साफ कर दिया कि क्या उन्हें टिकिट नही चाहिये या फिर वो मान बैठे है कि उन्हें टिकिट नही मिलेगा। इस बैठक में पूर्व महापौर मालिनी गौड़, सांसद शंकर लालवानी, बीजेपी जिला अध्यक्ष राजेश सोनकर और मंत्री तुलसी सिलावट भी मौजूद थे।

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सभी के सामने बीजेपी प्रदेश प्रभारी राव ने साफ कर दिया कि जो बीजेपी के पूर्व पार्षद रहे है उनकी पत्नियों को टिकिट नही दिया जाएगा बल्कि उस वार्ड में जो नेत्रियां संगठन का काम कर रही है उन्हें टिकिट दिया जाएगा। वही उन्होंने पदाधिकारियों को भी कह दिया कि वो नगरीय निकाय चुनाव पर ध्यान लगाएं ताकि अगले 10 साल तक प्रतिपक्ष में कोई पार्टी न आ सके। इतना ही उन्होंने ये भी कहा कि किसी को टिकिट न मिले तो वो नाराज होने के बजाय संगठन के लिए कार्य करे।

इसके अलावा मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में सेंध लगाने पर भी उन्होंने जोर दिया। कुल मिलाकर पहली बार इंदौर पहुँचे बीजेपी प्रदेश प्रभारी ने बताया कि उनकी मुरली में मीठे स्वर तो है लेकिन अनुशासन बिगड़ा तो स्वर तीखे भी हो सकते हैं। फिलहाल, इंदौर में बैठक के दौरान अनुपस्थित रहे 38 पूर्व पार्षद हैरान परेशान है क्योंकि अब उन्हें अलग अलग कारण या बहाने संगठन को जबाव के तौर पर पेश करने होंगे नही तो आगामी चुनाव के पहले ही उनका सूपड़ा साफ हो जाएगा।


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