भोपाल।
कमलनाथ(kamalnath) सरकार के जाने के बाद शिवराज(shivraj) सरकार ने एक के बाद एक कर पुरानी सरकार के निर्णयों की समीक्षा(Analysis) शुरू कर दी है और आवश्यकता अनुसार निर्णय लिए जा रहे हैं। ताजा मामला नगरीय निकायों(Urban bodies) का है। जिसमें कमलनाथ सरकार(kamalnath government) ने महापौर(Mayor)और नगर पालिका अध्यक्ष(Municipal councilor) का चुनाव पार्षदों(Councilors) के बीच से कराने का निर्णय लिया था। अप्रत्यक्ष रूप से होने वाले इस चुनाव में जनता की भूमिका अप्रत्यक्ष रूप से ही रहती थी और कहीं ना कहीं खरीद-फरोख्त का मौका मिलता था।
अब सरकार ने फैसला लिया है कि महापौर और नगर पालिका अध्यक्षों का चुनाव जनता के माध्यम से ही किया जाएगा यानी जनता ही अपने इन नेताओं को चुनेगी। नगरीय आवास और प्रशासन विभाग के द्वारा इस प्रस्ताव को प्रारंभिक मंजूरी दे दी गई है और कैबिनेट(cabinet) में यह संशोधन प्रस्ताव लाया जाएगा। जिसे मंजूरी मिलने के बाद विधानसभा(Assembly) के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। यदि किसी वजह से देरी होती है तो सरकार अध्यादेश लाकर भी इसको लागू कर सकती है। 1999 में यह निर्णय लागू किया गया था कि महापौर व नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव जनता यानी प्रत्यक्ष प्रणाली के माध्यम से किया जाए लेकिन कमलनाथ सरकार ने इसे बदल दिया था।
गौतलब है कि पिछले साल अक्टूबर माह में कांग्रेस सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव में बड़ा बदलाव किया था। जहाँ महापौर और नगर पालिका-नगर परिषद के अध्यक्ष के चुनाव को लेकर किया था। अब तक जनता इन्हें सीधे चुन रही थी, लेकिन समिति के सुझाव के बाद ये तय किया गया था कि महापौर और अध्यक्ष पद का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से कराया जाए। इसके साथ ही दो बड़े बदलावों पर भी सहमति बनाई गयी थी। राज्य सरकार ने अध्यादेश लाकर इन्हें लागू किया था। अब शिवराज सरकार पूर्व के कमलनाथ सरकार के इस फैसले को बदलने जा रहे हैं।