भोपाल। प्रदेश में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता खत्म हो गई है। इसी के साथ ही विभागों में कामकाज को लेकर हलचत तेज हो गई है। आचार संहिता हटने के बाद सोमवार शाम को मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में पहली और कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई| बैठक में डेढ़ दर्जन प्रस्तावों पर चर्चा की गई| इस बैठक में जनता से जुड़े अनेक मामलों को हरी झंडी दी गई। बैठक में रेत खनन नीति में बदलाव के प्रमुख प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है|
इसके साथ ही कैबिनेट बैठक में प्याज की खरीदी भावांतर योजना के तहत किये जाने का फैसला किया है| छिंदवाड़ा में विश्विद्यालय की स्थापना को मंजूरी दी गई है| रेत खनन नीति में बदलाव के प्रस्ताव को हरी झंडी मिल गई है| रेत खनन के लिए पंचायत स्तर के अधिकार समाप्त होंगे| अब माइनिंग कारपोरेशन खदानों की नीलामी करेगा| 2 साल के लिए खदानों का आवंटन किया जाएगा और ई ऑक्शन के जरिये खदानों का आवंटन होगा| इसके अलावा नर्मदा नदी में मशीनों के जरिये खनन नहीं किया जाएगा| इसके अलावा जिला सरकार के प्रारूप को मजबूत करने के लिए काम होगा| इस विषय पर भी कैबिनेट में चर्चा की गई है| प्रभार वाले जिलो में मंत्री क्लास थ्री और क्लास फ़ॉर के कर्मचारियों का तबादला कर सकेंगे| कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया है|
कैबिनेट बैठक के यह बड़े फैसले
-2003 तक की योजनाए जिनको ख़त्म कर दिया गया था उनका उनयन किया जाएगा|
-जिले के छोटे काम जिले में ही बैठक कर निपटा दिए जाएँगे| ज़िला योजना समिति के तहत बैठक की जाएगी|
-अद्योगिक नीति के तहत पीठमपुर अद्योगिक क्षेत्र में आने वाली ज़मीन को अधिग्रहीत करने के बजाय किसानो की ज़मीन अब सरकार ख़रीदेगी
-25 प्रतिशत भूमि रेसीडेंसीयल रहेगी, उसमें किसानो को प्लॉट या मकान दिया जाएग
-छिन्दवाडा में शशकिय यूनिवर्सिटी का निर्माण किया जाएग
-किसानो को कलेक्टर गाइड लाइन की क़ीमत पर 50 प्रतिशत एक्स्ट्रा राशि किसानो को दी जाएगी
-अब किसानों की जमीन का अधिग्रहण नहीं करेगी सरकार
-अब किसान को जमीन के बदले बॉन्ड देगी सरकार
-किसानों को खेती के लिये शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर कर्ज जारी रहेगा
– पीथमपुर से पायलट प्रोजेक्ट की तैयारी
-नई रेत खनन नीति से सरकार को 900 करोड़ रुपये की आमदनी की उम्मीद
पंचायत से छीनकर ठेके पर रेत खदानें
उल्लेखनीय है कि शिवराज सरकार ने डेढ़ साल पहले रेत खदानों के संचालन का अधिकार ग्राम पंचायतों को सौंपा था, अब कमलनाथ सरकार इस फैसले को बदलते हुए फिर से रेत खदानों को ठेके पर देने जा रही है। इसके पीछे सरकार की मंशा रेत खदानों से खजाना भरने की है। क्योंकि पंचायतों को रेत खदानें सौंपने के बाद से प्रदेश में रेत के दाम कम नहीं हुए, बल्कि खजाने को करोड़ों रुपए की चपत लग गई। रेत नीति का प्रस्ताव आज कैबिनेट में जिस पर मुहर लगी है| । नर्मदा नदी पर स्थित खदानों में रेत खनन, संग्रहण और लोडिंग के काम में मशीनों पर पूरी तरह रोक रहेगी। अन्य नदियों में पांच हेक्टेयर तक की खदानों में स्थानीय श्रमिकों की समिति से खनन, संग्रहण और लोडिंग का काम कराया जाएगा। बड़ी खदानों में मशीन के उपयोग की इजाजत होगी। रेत खनन पर मानसून सीजन प्रारंभ होते ही 15 जून से प्रतिबंध लग जाएगा। इस दौरान रेत की कमी न हो, इसके लिए जो खदानें चल रही हैं, उन्हें 31 मार्च 2020 तक संचालन करने की अनुमति रहेगी। जो खदानें स्वीकृत हैं पर चल नहीं रही हैं, उन्हें समर्पण करने का प्रावधान भी नई रेत नीति में रहेगा।