भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। BJP सांसद (MP) नंदकुमार सिंह चौहान (Nandkumar Singh Chauhan) के निधन से खाली हुई मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की खण्डवा लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव (khandwa loksabha By-election) के लिए भले ही चुनाव आयोग (Election Commission) ने तारीखों का ऐलान नहीं किया है, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस से दावेदार सक्रिय हो गए है।खास बात ये है कि 41 साल यानि 1980 के बाद पहली बार उपचुनाव (by-elections) होने जा रहे हैं।
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दरअसल, दमोह उपचुनाव (Damoh By-election) की तारीखों के ऐलान के बाद से ही खंडवा की लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव की चर्चाएं तेज हो गई है। राजनैतिक पार्टियों (Political Parties) के मंथन से पहले ही दावेदार सक्रिय हो गए है और वोटरों के दिल में जगह बनाना शुरु कर दिया है। कांग्रेस की बात करें तो पहला नाम पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण यादव (Arun Yadav) का है। यादव इस सीट से दोबारा दावेदारी ठोक रहे है और उन्होंने क्षेत्र में अघोषित तौर पर प्रचार भी शुरू कर दिया है।
इससे पहले 2019 में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था, हालांकि अरुण यादव एक बार खंडवा से सांसद रह चुके हैं।कांग्रेस की तरफ से भले ही कोई अधिकारिक बयान ना आया हो लेकिन अरुण यादव का नाम प्रबल दावेदार के रुप मे माना जा रहा है।इसके कई कारण है पहला-गृह जिला खरगोन (Khargone) नजदीकी होना और दूसरा खंडवा से एक बार सांसद का चुनाव जीतना, तीसरा निमाड़ के प्रबल और इकलौते कांग्रेस नेता और चौथा पिता सुभाष यादव की राजनीति विरासत में मिलना भी उन्हें मजबूत बनाता है।
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वही बीजेपी की बात करें पूर्व प्रदेश संगठन महामंत्री कृष्णमुरारी मोघे, और पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस (Archana Chitnis) का नाम चर्चा में बना हुआ है। दोनों ही मैदानी तौर पर सक्रिय हो गए है। लेकिन भाजपा की तरफ से पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस को अहम दावेदार माना जा रहा है।वही मोघे भी एक बार खंडवा से लगे खरगोन से सांसद रह चुके हैं, ऐसे में उनका नेटवर्क भी निमाड़ क्षेत्र में है। संघ के करीबी होने के कारण वे भी दावेदारी जता रहे हैं। इसके अलावा पूर्व मेयर सुभाष कोठारी और अशोक पालीवाल भी चर्चा में बने हुए है।वही नंदू भैया के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान भी सक्रियता बढ़ाए हुए है।
वैसे यह खंडवा सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है, लेकिन समय समय पर कांग्रेस इसे भेदने पर सफल रही है।एक तरफ बीजेपी के सामने सीट बचाना चुनौती होगी तो वही दूसरी तरफ कांग्रेस (Congress) को किले में सेंध लगाना।हालांकि अभी तक ना तो चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान किया है और ना ही पार्टियों ने प्रत्याशी। अब देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी-कांग्रेस उपचुनाव (Khandwa By-election) में किसे अपना उम्मीदवार बनाती है और कौन किस पर भारी पड़ता है।
ऐसा है इस सीट का राजनैतिक इतिहास
- खंडवा लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा सीटें आती हैं।
- इसमें खंडवा, बुरहानपुर, नेपानगर, पंधाना, मांधाता, बड़वाह, भीकनगांव और बागली शामिल है।
- इन 8 विधानसभा सीटों में से 3 पर भाजपा, 4 पर कांग्रेस और 1 सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी का कब्जा रहा है।
- खंडवा लोकसभा सीट पर सबसे पहला चुनाव साल 1962 में हुआ था, इसमें कांग्रेस के महेश दत्ता ने जीत हासिल की थी।
- 1967 और 1971 में भी कांग्रेस ने कब्जा जमाए रखा।
- साल 1977 में भारतीय लोकदल ने इस सीट पर कांग्रेस को हराया।
- 1980 में कांग्रेस ने फिर से वापसी की और शिवकुमार सिंह सांसद बनें।
- पहली बार इस सीट पर 1989 में बीजेपी ने जीत हासिल की।
- साल 1991 में कांग्रेस ने फिर से इस सीट पर अपना कब्जा जमा लिया।
- 1980 के बाद यहां पहली बार उपचुनाव ।
- 1979 में हुआ था यहां उपचुनाव।
- 1979 के उपचुनाव में जनता पार्टी के कुशाभाऊ ठाकरे ने कांग्रेस के एस.एन ठाकुर को दी थी शिकस्त।
- 1980 के चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता शिवकुमार सिंह ने कुशाभाऊ ठाकरे को पराजित किया।
- 6 बार के सांसद रहे नंदकुमार सिंह चौहान।
- इस सीट से सबसे ज्यादा बीजेपी के नंदकुमार सिंह चौहान जीतने वाले सांसद हैं।
- इस सीट पर सामान्य, ओबीसी, एससी/एसटी और अल्पसंख्यक का अच्छा प्रभाव है।