अधिकारियों के ट्रांसफर को लेकर जीतू पटवारी ने सरकार पर साधा निशाना, कहा ‘नियमों के विपरीत जाकर चल रहा है बीजेपी सरकार का तबादला उद्योग’

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि 'सुप्रीम कोर्ट ने आईएएस अफसरों के तबादलों के लिए सिविल सर्विस बोर्ड की अनुशंसा को राज्य सरकार की वेबसाइट पर अपलोड करने का आदेश दिया है, लेकिन इसका पालन तक नहीं हो रहा! सीएम मोहन यादव ने तय नियमों के विपरीत जाकर बीजेपी सरकार में चल रहे इस “तबादला उद्योग” को अब फैक्ट्री में बदलने की तैयारी कर ली है। अनिर्णय और मुखबिरी की शिकार सत्ता अब अधिकारियों को आहत कर रही है।'

jitu Patwari

Congress on IAS IPS Transfers : मध्य प्रदेश सरकार द्वारा देर रात 26 आईएएस अधिकारियों के तबादले किए जाने को लेकर राज्य में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इतनी रात को अधिकारियों के बड़े पैमाने पर तबादले इस बात का संकेत हैं कि राज्य में प्रशासनिक मशीन में अस्थिरता और खड़खड़ाहट की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है। उन्होंने कहा कि ‘बीजेपी सरकार में चल रहे इस “तबादला उद्योग” को अब फैक्ट्री में बदलने की तैयारी कर ली है।’

पटवारी ने एक्स पर अपने पोस्ट में लिखा है कि ‘मुख्यमंत्री के दोनों प्रमुख सचिवों को हटाने के साथ ही आधी रात में पूरी ताकत से चल रहा तबादला उद्योग अब प्रशासनिक मशीन में खड़खड़ाहट की तेज आवाज पैदा कर रहा है’। उन्होंने कहा कि यह तबादले सरकार की कमजोर इच्छाशक्ति और अनिर्णय की स्थिति को उजागर करते हैं। इसी के साथ आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया नियमों के विपरीत है और सरकार के अनिर्णय के कारण प्रशासनिक अस्थिरता की स्थिति बन रही है।

MP में IAS-IPS तबादलों को लेकर कांग्रेस ने उठाए सवाल

तबादले की प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए जीतू पटवारी ने एक्स पर लिखा है कि ‘मध्यप्रदेश में एक बार फिर आधी रात को आईएएस अधिकारियों के थोकबंद तबादले हुए! मुख्यमंत्री के दोनों प्रमुख सचिवों को भी हटा दिया गया है। आधी रात में पूरी ताकत से चल रहा “तबादला उद्योग” अब प्रशासनिक मशीन में खड़खड़ाहट की तेज आवाज पैदा कर रहा है। नियमों के विपरीत लगातार हो रहे ये तबादले डरी हुई सरकार की कमजोर इच्छाशक्ति और अनिर्णय की स्थिति को साफ दर्शा रहे हैं। आईएएस तबादलों में सामान्य प्रशासन विभाग प्रस्ताव सीएस (मुख्य सचिव) को भेजता है। इसके बाद सिविल सर्विस बोर्ड की सहमति, मुख्यमंत्री से चर्चा, और अंत में सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश जारी होते हैं। आईपीएस तबादलों के लिए पुलिस मुख्यालय (PHQ) प्रस्ताव तैयार कर सीएस को भेजता है। इसके बाद गृह विभाग की प्रक्रिया, पुलिस स्थापना बोर्ड की बैठक, मुख्यमंत्री को अनुशंसा, डीजीपी से चर्चा, और अंत में गृह विभाग के आदेश जारी होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आईएएस अफसरों के तबादलों के लिए सिविल सर्विस बोर्ड की अनुशंसा को राज्य सरकार की वेबसाइट पर अपलोड करने का आदेश दिया है, लेकिन इसका पालन तक नहीं हो रहा! सीएम मोहन यादव ने तय नियमों के विपरीत जाकर बीजेपी सरकार में चल रहे इस “तबादला उद्योग” को अब फैक्ट्री में बदलने की तैयारी कर ली है। अनिर्णय और मुखबिरी की शिकार सत्ता अब अधिकारियों को आहत कर रही है।’

इस तरह पटवारी ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला भी दिया है। बता दें कि अदालत ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि आईएएस अधिकारियों के तबादलों से संबंधित सिविल सर्विस बोर्ड की अनुशंसाओं को सार्वजनिक वेबसाइट पर अपलोड किया जाए। मगर कांग्रेस का कहना है कि सरकार इस दिशा में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं कर रही है, जो कि पारदर्शिता की कमी को उजागर करता है।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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