भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। शिवराज सिंह चौहान की कैबिनेट ने मंगलवार को नई तबादला नीति (transfer policy) को हरी झंडी दे दी। कैबिनेट के घोषित एजेंडे में यह विषय नहीं था इसलिए कैबिनेट के बाद इस पर चर्चा शुरू हुई और तमाम बिंदुओं पर चर्चा के बाद यह विषय सामान्य प्रशासन विभाग को सौंप दिया गया जो नई तबादला नीति को लागू करेगा।
मध्यप्रदेश में इस बार एक मई से तबादले किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने मंत्रियों से साफ कहा है कि वह इस बात का ध्यान रखें कि जिन्हें एक वर्ष के भीतर हटाया गया है, वह कहीं नई पॉलिसी का लाभ लेकर दोबारा पुराने स्थान पर न पहुंच जाए। तबादला नीति में यह स्पष्ट किया गया है किसी विभाग में अगर 200 का कैडर है तो वहां 20% तबादले होंगे। 201 से 2000 तक के कैडर में 10% और 2001 से ज्यादा कैडर में 5% तबादले होंगे यानी पुलिस, नगरीय प्रशासन, पंचायत और ग्रामीण विकास व शिक्षा विभाग में अधिकतम 5 फ़ीसदी तबादले ही हो सकेंगे। स्कूल शिक्षा विभाग अपनी नई नीति बनाएगा और इस नीति को सामान्य प्रशासन विभाग से अनुमति लेनी होगी।
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इस बात का भी ख्याल रखा जाएगा कि अनुसूचित क्षेत्रों में 3 साल की सेवा पूरी करने वालों का ही तबादला हो और किसी भी अनुसूचित स्थान पर तबादलों के माध्यम से पद रिक्त न हो पाए। प्राथमिकता के तौर पर उन पदों को भरा जाएगा। पिछले वित्तीय वर्ष में अपने लक्ष्यों को पूरा करने वाले अधिकारियों कर्मचारियों का ही स्वेच्छा से तबादला होगा।
किसी भी जिले के भीतर तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के तबादले प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के बाद कलेक्टर के आदेश से जारी होंगे। राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का तबादला सामान्य प्रशासन विभाग करेगा और जिले में डिप्टी कलेक्टर, संयुक्त कलेक्टर के तबादलों के प्रस्ताव प्रभारी मंत्री से चर्चा के बाद कलेक्टर आगे बढ़ाएंगे। राज्य स्तर पर अधिकारियों कर्मचारियों के तबादले के लिए प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी के तबादले अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव या विभागीय अध्यक्ष के स्तर से विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद जारी होंगे। विधायकों व जनप्रतिनिधियों से साफ कहा गया है कि आंख बंद कर तबादलों की सिफारिश ना करें। सोच समझकर प्रस्ताव दें ताकि किसी भी मंत्री पर अनावश्यक दबाव न पड़े।