भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। प्रदेश में बहुप्रतीक्षित मंत्रियों को जिलों के प्रभार देने का जल्द ऐलान होने की संभावना है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस सूची पर प्रदेश में मंथन कर चुके हैं और अब अंतिम मुहर लगने के लिए यह सूची दिल्ली जाएगी।
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मार्च 2020 में शिवराज सरकार के द्वारा बनने के बाद अब तक मंत्रियों को जिलों का प्रभार नहीं दिया गया है। हालांकि कोरोना की दूसरी लहर के समय मंत्रियों को जिलों का कोरोना प्रभारी जरूर बनाया गया था। बावजूद इसके, जिले में कई कार्य ऐसे होते हैं जो प्रभारी मंत्री की उपस्थिति के बिना अधूरे होते हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण जिला योजना समिति की बैठक होती है जो हर तीन माह में होना अनिवार्य है और इस बैठक के माध्यम से ही जिलों की विभिन्न विकास योजनाओं पर मोहर लगाई जाती है। प्रत्येक जिला योजना समिति का अध्यक्ष एक प्रभारी मंत्री होता है लेकिन पिछले डेढ़ साल से भी प्रभारी मंत्री ना होने के चलते जिला योजना समिति का कार्य सुचारू रूप से नहीं चल पा रहा है। कोरोना की दूसरी लहर से निबटने के बाद शिवराज ने सीहोर में मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक में प्रदेश में विकास की गति तेजी से बढ़ाने का संकल्प लिया था। अब उसमें जिला योजना समिति की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है और इसीलिए इस बात की व्यापक संभावना है कि शिवराज इस बात की जल्द घोषणा करें। इसके साथ ही नई तबादला नीति में भी जिला प्रभारी मंत्री को महत्वपूर्ण अधिकार है और बिना जिला प्रभारी मंत्री के तबादले कैसे होंगे, इसको लेकर संशय है। इसलिए शिवराज जल्द जिला प्रभारी मंत्रियों की घोषणा भी कर सकते हैं। इसके साथ-साथ अगले महीने से विधानसभा का सत्र भी बुलाया जाना है।
जिलों के प्रभार को लेकर सबसे महत्वपूर्ण चार जिले हैं जिनमें इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर प्रमुख है। ग्वालियर और इंदौर में सिंधिया समर्थक प्रद्युम्न सिंह तोमर और तुलसीराम सिलावट अभी महत्वपूर्ण भूमिका में है और इसलिए इन दोनों मंत्रियों को इन्हें जिलों का प्रभारी बनाए जाने को लेकर जहां सिन्धिया पूरी ताकत लगा रहे हैं वहीं बीजेपी के नेता नहीं चाहते कि यह दोनों इन महत्वपूर्ण जिलों के प्रभारी बने। ऐसे में अंतिम निर्णय शिवराज और दिल्ली से होगा।