नर्मदापुरम, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (MP) का वन विभाग (Forest Department) लगातार अपनी गड़बड़ी और घोटालों को लेकर चर्चाओं में बना रहता है। वहीं कई बार वरिष्ठ द्वारा पद का गलत इस्तेमाल कर कर्मचारी अधिकारियों पर शोषण करने की प्रक्रिया भी अपनाई जाती है। हालांकि इस मामले में लगातार वन कर्मचारी संघ के संरक्षक नर्मदापुरम, मध्य प्रदेश मधुकर चतुर्वेदी (madhukar chaturvedi) द्वारा कर्मचारियों (employees) के हित में आवाज उठाने की कोशिश की गई है। इसी बीच अब वन कर्मचारी संघ, संरक्षक को डराने धमकाने की कोशिश शुरू कर दी गई है।
जिसका आरोप उन्होंने तत्कालीन परीक्षेत्र अधिकारी पर लगाया है। मामले में वन कर्मचारी संघ संरक्षक नर्मदापुरम मधुकर चतुर्वेदी का कहना है कि उनके द्वारा लगातार अजय कुमार पांडे IFS, तत्कालीन DFO, होशंगाबाद के कई कारनामे उजागर किए गए हैं। जिसमें वर्ष 2019 में बाह्य औषधि योजना के तहत भ्रष्टाचार का मामला सहित कई अधिकारियों पर झूठे आरोप लगाकर पद का गलत इस्तेमाल कर उन्हें निलंबित कराए जाने तक के खुलासे शामिल है।
वहीँ इन कार्रवाई को उजागर करने के बाद अब संरक्षक मधुकर चतुर्वेदी को डरने धमकाने का प्रयास किया जा रहा है। जिस पर विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि तत्कालीन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा वर्ग एवं जाति विशेष का होने के कारण वे सेवानिवृत्त उप वन संरक्षक को डराने धमकाने का प्रयास कर रही है। सेवानिवृत्त उप वन संरक्षक मधुकर चतुर्वेदी वन कर्मचारी संघ के संरक्षक भी है। जो कर्मचारी हितों को ध्यान में रखते हुए विभागीय कर्मचारियों की मदद कर रहे हैं।
जानकारी देते हुए मधुकर चतुर्वेदी ने कहा है कि डीएफओ होशंगाबाद द्वारा वर्ष 2019 में 17 लाख 64 हजार की बाह्य औषधि योजना के तहत भ्रष्टाचार की शिकायत की गई थी। जिसमें 881700 /- बानापुरा परिक्षेत्र के बिल है, जो सुधीर कांबले की हैंडराइटिंग से बनवाएं गए है। जिसके अपराध-बोध से विचलित होकर सुधीर कांबले ने स्वयं को वर्ग विशेष का बता कर अजय कुमार पांडे, IFS तत्कालीन DFO होशंगाबाद द्वारा किये गए बीज खरीदी घोटाले में स्वयं को निर्दोष बताया जाने का अनुचित प्रयास किया है। जो समाजिक भेदभाव को दर्शाने का प्रमाण है। वहीँ यह कदम शासकीय कर्मचारी के उपयुक्त नही है।
उन्होंने तत्कालीन परिक्षेत्र अधिकारी अंशु सोनी द्वारा सुखतवा परिक्षेत्र अधिकारी के रूप में 3.54 करोड़ रुपए की बाह्य औषधीयां रोपण के तहत किए गए 17 लाख 64 हजार 300 के बीज खरीदी घोटाले में शामिल बताकर कम मात्रा का बीज खरीदकर अधिक मात्रा के बीजों का भुगतान करने और वन संरक्षक सौरभ मसीह के विरुद्ध षडयंत्र पूर्वक पीओआर प्रकरण 15110/05 दिनांक 21 जुलाई 2019 में नहीं होते हुए भी, सेवा में कार्यरत होने के बावजूद फरार बता कर न्यायालय को गुमराह कर न्यायालय इटारसी से फरारी में स्थाई गिरफ्तारी वारंट जारी कराया था। वहीँ तत्कालीन परिक्षेत्र अधिकारी ने बोलेरो वाहन विभाग के बिना स्वीकृति के खरीदे जाने की जांच कर रही अधिकारी, उपवन मंडला अधिकारी, सुहागपुर रचना शर्मा को गलत जानकारी देकर भ्रमित किया गया।
जिन्हें बोलेरो खरीदने विभाग द्वारा स्वीकृति प्रदान नहीं की गई। इधर वनक्षैत्र पीएफ 45 कंपार्टमेंट से बाहर आदिवासी द्वारा निजी भूमि सुधार का कार्य करने कराने पर तत्कालीन परीक्षेत्र अधिकारी द्वारा बिना मौका पर पाए गए। वनरक्षक मुकेश मकोडिया एवं वनपाल बीएम यादव को निलंबित करने का प्रस्ताव भेजा गया। विभागीय जांच में मुख्य वन संरक्षक द्वारा तत्कालीन परिक्षेत्र अधिकारी को दोषी पाकर विभाग से नोटिस जारी हुए।
साथ ही तत्कालीन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा सामाजिक वानिकी नर्सरी सुखतवा में मजदूरों को निर्धारित मजदूरी 1850 रुपए के स्थान पर 700 भुगतान किया गया था। मधुकर चतुर्वेदी द्वारा किए गए आर्थिक घोटाला और भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद इनके द्वारा शेष मजदूरी का नगद भुगतान किया गया। अब वन परिक्षेत्र अधिकारी वर्ग एवं जाति विशेष का होने के कारण अपने भ्रष्टाचार के साथियों के साथ शिकायत कर्ता सेवानिवृत्त उप वन संरक्षक को धमका कर डराने का प्रयास कर रही है। इसकी शिकायत पुलिस महानिदेशक नर्मदा पुरम को की गई है। वहीँ इसपर कार्रवाई की मांग की गई है।
संरक्षक मधुकर चतुर्वेदी का कहना है कि उन्होंने अजय कुमार पांडे IFS तत्कालीन DFO होशंगाबाद जो सवर्ण जाति के है, उनकी शिकायत की है, ऐसे में सुधीर कांबले के विचलित होने का कोई औचित्य ही नहीं है। वहीँ उन्होंने मांग की है कि यदि बिल सुधीर कांबले द्वारा बनाए गए है तो सर्व प्रथम उसकी पुष्टि किया जाना आवश्यक है । मामले में संरक्षक मधुकर चतुर्वेदी का कहना है कि वो इनसे पिछले लगभग 3 या 4 वर्षो से मिले हैं, फिर शासकीय कर्मचारी द्वारा यह जात – पात वर्ग विशेष से सम्बंधित काल्पनिक शिकायत करने के लिए इन्हे दण्डित किया जाना चाहिए।
मधुकर चतुर्वेदी का कहना है कि वो वन कर्मचारी संघ के संरक्षक होकर भी एक स्वतंत्र वरिष्ठ नागरिक हैं और उनके द्वारा लगातार कर्मचारियों के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठा कर न्याय दिलवाया गया है। जिसमें मुकेश मकोडिया (वनरक्षक), सौरभ मसीह (वनरक्षक) और बी०एम० यादव (वनपाल) प्रमुखता से है।जिन्हें अजय कुमार पांडे IFS तत्कालीन DFO होशंगाबाद द्वारा अपने पद का इस्तेमाल कर नियम विरुद्ध निलंबित कर शोषण और आतंक फ़ैलाने का प्रयास किया जा रहा था। संरक्षक मधुकर चतुर्वेदी ने कहा है कि सुधीर कांबले को जिला यूनियन, नर्मदापुरम में पद न रहते हुए भी पदस्थ रखा गया है। उन्होंने मांग की है कि इनका पद महाप्रबंधक कार्यालय का है। इसलिए इन्हें जिला यूनियन से हटाया जाना चाहिए।