MP उपचुनाव : कांग्रेस का दावा- 30 दिन बाद प्रदेश में दोबारा बनेगी कमलनाथ की सरकार

Pooja Khodani
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वचन पत्र

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश उपचुनाव (Madhya Pradesh by-election) के मतदान और परिणाम से पहले भाजपा-कांग्रेस अपनी अपनी जीत का दावा कर रही है। दोनों ही दलों द्वारा 28 की 28 सीटों का जीत हासिल कर सरकार बनाने का दावा किया जा रहा है, हालांकि मध्यप्रदेश (MP) में सत्ता के सिंहासन पर कौन विराजमान होगा ये तो आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन इसके पहले बयानों और वादों का सिलसिला जारी है। अब कांग्रेस (Congress) ने दावा किया है कि 30 दिन के अंदर प्रदेश में दोबारा से कमलनाथ की सरकार (Kamal Nath’s government) बनेगी। जनता खड़ी है साथ , जीत रहे है कमलनाथ के दावे भी किए जा रहे है।  वही कांग्रेस के इस दावे पर भाजपा (BJP) ने चुटकी ली है और इसे मुंगेलीलाल के हासिल सपने बताया है।हालांकि यह दावा किस आधार पर किया जा रहा है, ये बड़ा सवाल है।

कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में यह बड़ा दावा किया है। कांग्रेस को पूरा विश्वास है कि 2018 की तरह वचन पत्र (Promissory note) का ये फार्मूला जीत के लिए ना सिर्फ ब्रह्मास्त्र का काम करेगा बल्कि सत्ता वापसी की राह भी प्रशस्त करेगा।चुंकी 15 सालों बाद कांग्रेस की प्रदेश में वापसी के लिए कांग्रेस के वचन पत्र ने मास्टरस्ट्रोक का काम किया था इसे उपचुनाव से पहले कांग्रेस का माइंड गेम माना जा रहा है, इसे उपचुनाव से पहले कार्यकर्ताओं में जोश भरने का दांव माना जा रहा है, ताकी बिखराव और टूटन रुक सके। कार्यकर्ताओं और नेताओं का मनोबल बना रहे है और वे बड़े ही जोश और जूनन के साथ मैदान में मोर्चा संभाले और भाजपा को कड़ी टक्कर दे। हालांकि  यह पहला मौका नही है , इसके पहले भी कमलनाथ और एमपी कांग्रेस जीत के बड़े बड़े दावे कर चुकी है। हाल ही में ही पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ (State Congress President Kamal Nath) ने बुधवार को मंदसौर जिले के सीतामऊ में एक चुनावी रैली में दावा किया था कि उनकी पार्टी 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के बाद प्रदेश की सत्ता में वापसी करेगी। BJP ने बाबासाहेब के बनाए हुए संविधान के साथ खिलवाड़ किया, सौदेबाजी और बोली से सरकार बना ली लेकिन इस चुनाव के बाद हम (कांग्रेस और जनता) दीपावली साथ में मनाएंगे।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)