भोपाल। लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद कांग्रेस में बड़ी हलचल है | मध्य प्रदेश में विधायकों को एकजुट रखने की कवायद की जा रही है| बीजेपी नेताओं द्वारा सरकार को अल्पमत की सरकार होने के आरोप के साथ सरकार गिराने के दावे के बाद विधायकों को साधने की कोशिश की जा रही है| इसके लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने नया फार्मूला लागू किया है| सीएम ने अपने मंत्रियों को विधायकों पर निगरानी रखने का जिम्मा सौंपा है| एक-एक मंत्री पांच-पांच विधयकों पर नजर रखेंगे और उनसे लगातार संवाद भी करेंगे| विधायक दल की बैठक में विधायकों की नाराजगी सामने आई कि मंत्री उनकी सुनवाई नहीं करते, जिसके बाद कमलनाथ मंत्रियों को विधायकों से संपर्क में रहने के निर्देश दिए हैं|
एक एक मंत्री को पांच पांच विधायकों की ज़िम्मेदारी दिए जाने के सवाल पर गृह मंत्री बाला बच्चन का बयान सामने आया है| उन्होंने कहा है कि सभी मंत्रियों की ज़िम्मेदारी है कि वो विधायकों को अपने जैसा पावर देकर रखें, विकास के काम नही रुकने चाहिए| उन्होंने कहा कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक में सभी विधायकों ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को आश्वस्त किया है कि पूरे पांच साल तक सभी विधायक साथ रहेंगे| गृह मंत्री का दावा है कि सभी विधायक सीएम कमलनाथ के समर्थन में राजभवन तक परेड करने को तैयार है| वहीं उन्होंने विपक्ष पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया है|
मुख्यमंत्री निवास पर हुई विधायकों की बैठक में 121 में से 119 विधायकों ने एकजुटता दिखाकर कमलनाथ के नेतृत्व में पांच साल सरकार को समर्थन देने का प्रस्ताव पारित किया। मुख्यमंत्री ने विधायकों को झूठ फैलाने वाले तंत्र से सतर्क रहने की हिदायत भी दी। इस दौरान कई विधायकों से मुख्यमंत्री ने वन-टू-वन चर्चा भी की। बैठक में करीब 30 विधायकों ने अपने विचार रखे। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्य में विधायकों को नई जिम्मेदारी सौंपी है। इस जिम्मेदारी के तहत मंत्री पांच-पांच विधायकों पर नजर रखेंगे और उनसे लगातार संवाद भी करेंगे। यह पूरी प्रक्रिया लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद हुई। ऐसे में अब कमलनाथ के इस फैसले को लेकर तरह तरह की बातें उठनी शुरू हो गईं हैं। वहीं विपक्ष की भूमिका निभा रही भाजपा चुटकी लेते हुए इस फैसले को सरकार गिरने का डर बता रही है| वहीं निर्दली�� विधायकों से कमलनाथ ने खुद चर्चा करने का फैसला लिया है। दूसरी ओर, कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राज्य के हालातों पर दो बार मंथन किया। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने विधायकों के बगावती तेवर की आशंका पर यह कदम उठाने का फैसला लिया है। चर्चा है कि मंत्रिमंडल के गठन के बाद से ही सरकार में जगह न पाने वाले पार्टी के वरिष्ठ विधायक और बाहर से सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों की नाराजगी समय-समय पर सामने आती रही है। इस नाराजगी को थामने के लिए भविष्य में मंत्री मंडल विस्तार भी किया जा सकता है, वहीं विधायकों को भी पूरी तबज्जों देकर पावरफुल बनाने की कोशिश की जा रही है| जिससे विधायकों को सरकार से शिकायत न हो|