जबलपुर, संदीप कुमार। कोरोना संक्रमण के बीच अपनी मांगों को लेकर बीते 4 दिनों से मध्य प्रदेश के तमाम जूनियर डॉक्टर हड़ताल (JUDA Strike) पर हैं। ऐसे में स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी हो गई है। इसको लेकर हाईकोर्ट (Madhya Pradesh Highcourt) ने गंभीरता दिखाई और तमाम जूनियर डॉक्टरों को कि 24 घंटे में अपनी हड़ताल खत्म कर वापस काम पर लौटने के निर्देश दिए हैं।
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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण के समय हड़ताल पर गए जूनियर डॉक्टरों के कृत्य की निंदा की है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस विपत्ति के समय जबकि जनता को उनकी जरूरत है बावजूद इसके हड़ताल पर जाना कहीं से भी सही नहीं है। वर्तमान में डॉक्टरों के लिए एक महत्वपूर्ण समय हैं और ऐसे समय में अगर जूनियर डॉक्टर अपने कर्तव्य से विहीन होते हैं तो उनके इस काम की कतई सराहना नहीं की जा सकती।
हड़ताल अवैध घोषित
जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने को लेकर हाईकोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक एवं जस्टिस सुजय पाल ने अपना फैसला सुनाते हुए जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध घोषित किया है। हाईकोर्ट ने जूनियर डॉक्टरों को सख्ती से निर्देश दिए हैं कि अगर 24 घंटे के भीतर जूनियर डॉक्टर अपने काम को शुरू नहीं करते हैं तो ऐसे में राज्य सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
इन मांगों को लेकर हड़ताल
मध्यप्रदेश में जूनियर डॉक्टर्स अपनी छह सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर है। जूडा ने सरकार को रविवार तक का समय दिया था कि यदि सरकार ने उनकी मांगों को गम्भीरता से नहीं लिया तो हड़ताल इसी तरह जारी रहेगी। जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि इससे पहले जब उन्होंने हड़ताल शुरू की थी। तब चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि उनकी मांगे मानी जाएगी। लेकिन सरकार ने उनकी मांगों पर कोई विचार नहीं किया है। कोरोना मरीजों का इलाज करते हुए इस बीच कई डॉक्टरों की मौत भी हो गई। ऐसे में उन्हें विवश होकर फिर से हड़ताल शुरू करनी पड़ी। जूडा की मांग है कि संविदा वेतन में बढ़ोतरी कर इसे 55 हजार, 57 हजार, 59 हजार से बढ़ाकर 68 हजार 200, 70 हजार 680 और 73 हजार 160 किया जाए।