MP News : सुरेश पचौरी ने बीजेपी की विकास यात्रा पर उठाए सवाल, शिवराज सरकार को घेरा

Suresh Pachauri attack on Shivraj government : पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं मप्र कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष सुरेश पचौरी ने कहा है कि मध्य प्रदेश में बीजेपी की तथाकथित विकास यात्रा के नाम पर सरकार अपने मुंह मियां मिट्ठू बन रही है। उन्होने कहा कि इसे लेकर जहां जनता सवाल खड़े कर रही है वहीं बीजेपी के कतिपय नेता भी सवाल उठा रहे हैं। अच्छा ये हो कि इस विकास यात्रा में बताया जाए कि केंद्र और प्रदेश में बीजेपी सरकारों ने आम जनता की बेहतरी के लिए क्या कदम उठाएं, इनकी क्या उपलब्धियां हैं और इन्होने चुनाव के दौरान जो वादे किए थे वो कितने पूरे हुए कितने अधूरे रहे और उन सबपर अमल क्यों नहीं हो पा रहा है।

शिवराज सरकार पर हमला

वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी ने बुधवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि ‘सफलता वह होती है जिसे सब खुले मन से स्वीकार करे। खुद अपनी तारीफ करना अपने मुंह मियां मिट्ठू होना कहलाता है। मध्यवप्रदेश की भाजपा सरकार अभी यही कर रही है। अपनी सफलता को बताने के लिए भाजपा सरकार के मंत्री, विधायक और नेता गांव-शहर में घूम रहे हैं। सवाल उठना चाहिए कि तथाकथित विकास को दिखाने के लिए यह यात्रा सरकारी खर्चें पर निकाली जा रही हैं यानी जनता की गाढ़ी कमाई से मिले टैक्स को यूं ढिंढोरा पीटने में खर्च किया जा रहा है। सरकार जोर-शोर से झूठ बोल रही है और खुद भाजपा के नेता सवाल उठा रहे हैं। कोई मंत्री दर्जा प्राप्त नेता भ्रष्टाजचार की पोल खोल रहा है तो कोई मंत्री सवाल पूछ रही जनता से धमकी भरे अंदाज में बात कर रहे हैं। वही दूसरी और भाजपा सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है।’ उन्होने कहा कि यदि भाजपा सरकार ने विकास किया है तो वह दिखना भी चाहिए। जनता को यह विकास का अनुभव करना चाहिए। लेकिन जनता तो शिकायत कर रही है कि बिजली नहीं है, पानी नहीं है, प्रधानमंत्री आवास योजना का पैसा नहीं आया, फसल बीमा नहीं मिला। किसान कर्ज माफी क्यों बंद की गई ? सामाजिक सुरक्षा पेंशन 1 हज़ार रुपए क्यों नहीं की गई ? 100 रूपए में 100 यूनिट बिजली योजना क्यों बंद की गई? मुख्यमंत्री जी ने विकास यात्रा में सड़कों की हालत देख ली होगी क्या अब भी वह यही कहेंगे की मध्यप्रदेश की सड़कें वाशिंगटन से बेहतर हैं?

विकास यात्रा पर उठाया सवाल

उन्होने आरोप लगाया कि इस यात्रा का नाम विकास यात्रा है लेकिन सवाल यह है कि विकास किसका हो रहा है और किसके लिए विकास यात्रा निकाली जा रही है। मध्याप्रदेश में भ्रष्टासचार चरम सीमा पर है और कोई भी काम बिना लिए दिए नहीं हो रहा है। हालात यह है कि किसान कर्जदार और डिफाल्टैर हो गए है और नौजवान आत्म हत्या करने को मजबूर हो गए है। उन्होने कहा कि डबल इंजन की सरकार जहां केन्द्रीय टैक्स के माध्यम से आम जनता का खून चूस रही है वहीं राज्य में दूसरे इंजन वाली सरकार राज्य के टैक्स के रूप में जनता की गाड़ी कमाई छीन रही है। कई परीक्षाओं के पेपर लीक हो रहे है और सरकारी नौकरियों की हालत यह है कि आउट सोर्स ओर संविदा की भर्ती की जा रही है। कांग्रेस ने ता ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी इस तथाकथित विकास यात्रा के नाम पर जनता के धन से अपने प्रचार प्रसार में लगी हुई है वहीं दूसरी ओर कतिपय नौकरशाह भाजपा के प्रचारक के रूप में काम करते नजर आ रहे है, उनसे यह अपेक्षा कि जाती है कि वे उच्चे आचरण पेश करे और संविधान के दायरे में काम करें। भाजपा सरकार को आज आईना देखने की जरूरत है और लोकतंत्र में जनता से बड़ा आईना क्याक होगा? कथित विकास यात्रा जिन इलाकों से निकल रही है उनमें से अधिकांश स्थानों पर जनता ही विकास यात्रा की पोल खोल रही है। इसका विरोध कर रही है। इस अवसर पर उन्होने शिवराज सरकार की असफलताएं और तत्कालीन कमलनाथ सरकार की सफलताएं भी गिनाई।

मध्य प्रदेश सरकार की असफलताएं 

एक तरफ जहां समूची भाजपा और शिवराज सरकार विकास के नाम पर झूठ बोल रही है तब हमारी जिम्मेदारी है कि हम सच बताएं। यह तो सभी जानते हैं कि किसी भी प्रदेश के विकास को का पैमाना वहां की शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार की स्थिति होती है। अब इन पैमानों पर मध्यवप्रदेश की स्थिति जान लीजिए।
* भारत सरकार के ही बनाए गए नीति आयोग के अनुसार शिक्षा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश देश के 36 राज्यों में से 35 वें स्थान पर है और स्वास्थ्य के मामले में देश के 19 बड़े राज्यों में से 17 वें पायदान पर है। मध्यप्रदेश के बच्चे कुपोषण के शिकंजे से बाहर नहीं हो पाए हैं। प्रदेश के 60 प्रतिशत से अधिक बच्चों को सही पोषण आहार नहीं मिल रहा है। कुपोषण के मामले में मध्यप्रदेश देश में नम्बर 1 है। प्रदेश में 30 लाख रजिस्टर्ड बेरोज़गार हैं। प्रदेश में सर्वाधिक 2 करोड़ 34 लाख लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं। प्रदेश में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों महिलाओं और बालिकाओं पर अत्याचार बढ़े हैं।
* खुद मध्यप्रदेश सरकार का आर्थिक सर्वेक्षण बताता है कि प्रदेश का खजाना खाली है और प्रदेश पर लगभग 3 लाख 83 हज़ार करोड़ से भी अधिक का कर्ज है। फिर भी सरकार हर माह कर्ज पर कर्ज लिए जा रही है। कर्ज के पैसे से कथित विकास की झूठी झांकी सजाई गई है।
* मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने प्रदेश के लगभग 27 लाख किसानों की कर्ज माफी की थी अन्य चरण में और भी किसानों की कर्ज माफी होनी थी लेकिन भाजपा सरकार ने इस योजना को रोक दिया। पहले मुख्यममंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद को किसान हितैषी तथा किसान पुत्र कहा करते थे। अब वे किसानों की चिंता पर कुछ नहीं कहते हैं।
* व्यापमं घोटाला, सिंहस्थ घोटाला, ई-टेंडरिंग घोटाला, मध्यान्ह भोजन घोटाला और कारम डेम जैसे अनेक घोटालों ने प्रदेश को शर्मसार किया हुआ है। कौन भूलेगा कि तब सीएजी ने महिला एवं बाल विकास में घोटाले पर सवाल पूछे तो पूरी सरकार उस पड़ताल को ही खारिज करने में जुट गई थी।
* प्रदेश में व्यापंम घोटाले के समान ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनेकों घोटाले हुये हैं। आयुष्मायन योजना के जिम्मेवदार अफसरों के भ्रष्टा चार से जुड़े वीडियो वायरल हुए। आयुष डॉक्टयरों की भर्ती में फर्जीवाड़ा हुआ है। पूरे प्रदेश में लगभग 500 फर्जी अस्पताल बने हैं इन अस्पतालों को नर्सिंग होम का दर्जा देने वाले जिम्मेदार अधिकारियों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सरकार ने अपनी ही जांच में पाया है कि एक ही डॉक्टर 25-25 अस्पतालों का चिकित्सक बना बैठा है। मध्यप्रदेश के सरकारी संरक्षण प्राप्त अनेकों अस्पतालों में इलाज के नाम पर भारी भ्रष्टाचार हो रहा है।
* पंचायत राज व्यवस्था में चुने हुए जन प्रतिनिधियों की अनदेखी हो रही है। पंचायतों में विकास के कार्य रूके हुए हैं।
* मुख्यमंत्री रोज एक पेड़ लगाने का इवेंट मैनेजमेंट करते हैं जबकि हकीकत में प्रदेश में हज़ारों हेक्टेयर वन क्षेत्रों की अवैध कटाई हुई है। रेत का अवैध उत्खनन जारी है और प्रदेश में जंगल माफिया, रेत माफिया एवं भूमाफिया हावी हैं।
* मध्य प्रदेश में आंगन वाडी सहायिकाओं, आशा कार्यकर्ताओं, स्वह सहायता समूह, सांझा चुल्हाआ में कार्यरत महिलाओं को उचित वेतन नहीं मिल पा रहा है, साथ ही बहनों व बेटियों को पया्प्ति सुरक्षा व अधिकार से वंचित रखा गया है व बच्चों को उचित दाम पर भरपेट भोजन भी नहीं मिल पा रहा है
* मध्य,प्रदेश में विकास के नाम पर सभी प्रकार के अपराधों का विकास हुआ है एनसीईआरबी के आंकड़ों के अनुसार मध्यरप्रदेश में महिला अपराध, बाल अपराध,आदिवासियों पर अत्याचार आदि में विकास हुआ है
* विकास यात्रा की बात करने वाले यह बताएं कि चम्ब ल एक्सहप्रेसवे, राम वन गमन पथ का क्या हुआ साथ ही यह भी बताए कि भोपाल ताल में व मॉ नर्मदा में सिवेज का पानी क्योंथ जा रहा है
* मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार सत्ता के अहंकार में डूबी है। वह विज्ञापनों से अपना चेहरा चमकाने का जतन कर रही है जबकि मैदानी हकीकत कुछ और है।

कमलनाथ सरकार की प्रमुख उपलब्धियां 

उन्होने कहा कि भाजपा सरकार जिन बातों का गुणगान कर रही हैं वास्तव में देखें तो कमलनाथ ने मुख्यमंत्री के रूप में अपने सवा साल के कार्यकाल में उन उपलब्धियों को रच दिया था। उनकी सरकार ने सुशासन और विकास का एक नया अध्याय लिखा है। जनता चुनाव में जनादेश के द्वारा 60 महीनों के लिए सरकार चुनती है, लेकिन भाजपा ने 15 महिनों में ही लोकतंत्र की हत्यार कर दी और कांग्रेस की निर्वाचित सरकार अपदस्थज कर दिया। सुरेश पचौरी ने कहा कि ये कहने में कोई गुरेज नहीं है कि यदि कमलनाथ सरकार अपना कार्यकाल पूरा करती तो यह मध्यप्रदेश की विकास यात्रा का सर्वाधिक स्वर्णिम अध्याय होता।
* जय किसान कर्जमाफी योजना के तहत प्रदेश के लगभग 27 लाख किसानों की कर्जमाफी की गई।
* किसानों के 5 हार्स पॉवर तक के बिजली बिल माफ किए गए और 10 हार्स पॉवर के बिजली बिल आधे किए गए।
* श्री महाकाल एवं ओंकारेश्विर के प्रति सेवाभाव रखते हुए मंदिर परिसर के विकास एवं विस्तार के लिए 450 करोड़ रूपए का बजट स्वीकृत किया गया।
* प्रदेश में राम वनगमन पथ के लिए बजट जारी किया गया।
* प्रदेश की जनता को 100 रूपये में 100 यूनिट बिजली दी गई।
* महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए एवं उनको स्वरोजगार हेतु रियायती दरों पर बैंक से ऋण उपलब्ध कराने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई।
* वृद्धावस्था , विधवा एवं दिव्यांग पेंशन राशि दोगुनी की गई।

एनडीए सरकार की नाकामियां 

1. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रतिवर्ष दो करोड़ नौकरियां देने का वादा झूठा निकला।
2. प्रत्येक खाते में 15 लाख रूपए देने का वादा जुमला निकला।
3. किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने का वादा झूठा निकला। आय बढ़ना तो दूर उल्टे किसानों को फसलों का लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा है।
4. वर्ष 2022 तक सबको आवास देने की घोषणा सफेद झूठी साबित हुई।
5. 100 स्मार्ट सिटी कहां बनी हैं,
6. बुलेट ट्रेन कब चलेगी, किसी को खबर नहीं है।
7. नोटबंदी से कालाधन तो नहीं आया लेकिन अर्थव्यवस्था की कमर जरूर टूट गई।
8. गलत जीएसटी ने छोटे व्यापारियों को बर्बाद कर दिया है।
9. पेट्रोल, डीजल और गैस की कीमतें आसमान छू रही हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेट्रोलिया पदार्थों के दाम गिरे मगर हमारे यहां पेट्रोलियम पदार्थ की न कीमत खत्म हुई न टैक्स ही घटा।
10. रूपये के कीमत में ऐतिहासिक गिरावट एनडीए के कार्यकाल में आई है 2013- 2014 में एक डालर की कीमत 60 रू.50 पैसे थी और फरवरी 2023 को 1 डालर की कीमत 82 रूपये 79 पैसा हो गई है ।
11. बुनियादी मुददों पर विफल एनडीए सरकार’ मोदी सरकार प्रमुख रूप से शिक्षा एवं हेल्थो केयर के रूप में असफल रही है एएसआईआर रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा व हेल्थम केयर के क्षेत्र मे कोई प्रभावी उपलब्धि नहीं रही है। मध्यप्रदेश में कहने को तो डबल इंजन की सरकार है लेकिन इसके दोनों इंजन बुरी तरह से फेल हो चुके हैं।

कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की योजनाएं 

मोदी सरकार की इस वादा खिलाफी की तुलना में केन्द्र की यूपीए सरकार का शासन देखा जाए तो पहली टिप्पीणी यही होगी कि उस समय देश के आम आदमी की भलाई की कई योजनाएं बनाई गई थीं। सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने के मकसद से ‘सूचना का अधिकार’ दिया गया। हर बच्चे को शिक्षा मिले इसलिए ‘शिक्षा की गारंटी’ कानून बना कर दी गई। उनके लिए मध्याह्न भोजन की व्य वस्थाच की गई। ‘महात्मा गांधी नरेगा कानून’ बनाकर गांव-गांव तक रोजगार का प्रबंधन किया गया। गांव के लोगों को गांव में ही 100 दिन का रोजगार मिला। ‘नेशनल रूरल हेल्थ मिशन’ बनाकर गांव-गांव तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाई गईं। हर गांव को बिजली पहुंचाने के लिए ‘राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना’ बनाई। गरीबों को सस्ता राशन मिले, कोई भूखा पेट न सोए इसलिए यूपीए सरकार ने ‘खाद्य सुरक्षा कानून’ बनाया गया। देश के किसानों की लगभग 72 हजार करोड़ रूपयों की कर्जमाफी की गई एवं किसानों की उपज की एमएसपी की कीमत में बढ़ोत्तरी की गई। यूपीए सरकार की योजनाओं के चलते देश के 27 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाया गया लेकिन दुर्भाग्य है कि मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों, नोटबंदी व जीएसटी से देश के 23 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए।

उन्होने कहा कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने संसद में गौतम अडानी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कुछ सवाल किए थे परंतु प्रधानमंत्री की ओर से इस गंभीर मामले में अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। जबकि इन आरोपों पर प्रधानमंत्री को सबसे पहले बोलना चाहिए था मगर वे इधर उधर की बातें बनाते रहें। उनकी चुप्पी रहस्यबनी हुई है। देशवासी जानना चाहते हैं कि –

1. प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि वे कितनी बार गौतम अडानी को अपने साथ विदेशयात्रा पर ले गए हैं? इन यात्राओं के पश्चाकत गौतम अडानी के किन-किन देशों से क्या-क्या व्यापारिक समझौते हुए?
2. गौतम अडानी 2014 में अमीरों की सूची में 609 नम्बर पर थे जो दस से भी कम सालों में दूसरे नम्बर पर कैसे पहुंच गए? गौतम अडानी की नेटवर्थ2014 के बाद 08 बिलियन डॉलर से बढ़ कर 140 बिलियन डॉलर कैसे हुई?
3. अडानी समूह बहुत कम समय में भारत के हवाई अड्डों व बंदरगाहों का सबसे बड़ा संचालक कैसे बन गया?
4. सभी देशवासी साफ साफ देख रहे हैं कि अडानी समूह अपने व्यापारिक हितों के लिये केन्द्र सरकार और सरकारी नीतियों का इस्तमाल खुलेआम कर रहा है। अडानी समूह के खिलाफ धोखाधड़ी और धन अर्जित करने के आरोप सार्वजनिक पटल पर पहले से ही मौजूद हैं। अडानी समूह सेबी के नियमों का उल्लंघन करने के लिये जांच के दायरे में हैं।
5. केन्द्र सरकार द्वारा ईडी, सीबीआई जैसी एजेंसियों का दुरूपयोग अडानी समूह के खिलाफ उठ रही आवाजों को दबाने के लिए किया जा रहा है।
6. विपक्ष द्वारा इन सब मामलों की जांच के लिये जेपीसी की मांग को अस्वीकार कर दिया गया है जो निर्वाचित प्रतिनिधियों के विश्वाजस पर प्रश्न4वाचक चिह्न लगाता है, जबकि पूर्व में 1992 में हर्षद मेहता और 2001 में केतन पारेख मामलों की जांच जेपीसी ने की थी।

 


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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