भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। प्रमोशन में आरक्षण (reservation in promotion) का मामला अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया है।आज से सुप्रीम कोर्ट में फाइनल सुनवाई शुरू होने जा रही है, इसमें मप्र समेत सभी राज्य अपना अपना पक्ष रखेंगे। मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से विशेष अधिवक्ता मनोज गोरखेला पक्ष रखेंगे।माना जा रहा है कि 10 अक्टूबर तक फाइनल फैसला आ सकता है, अगर ऐसा हुआ तो लाखों कर्मचारियों को राहत मिल सकती है।सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को 30-30 मिनट का समय दिया है। 2002 नियम के अनुसार 2016 तक प्रमोशन में आरक्षण मिला, 2016 में हाईकोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण पर रोक लगा दी, जिसके चलते सैकड़ों कर्मचारी बिना प्रमोशन का लाभ लिए ही रिटायर हो गए।
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इससे पहले 14 सितंबर 2021 को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मध्यप्रदेश सहित सभी राज्यों से कहा था कि प्रमोशन में आरक्षण (Reservation In Promotion MP) मामले में अब आगे सुनवाई नहीं होगी। कई वर्षों से मामला लंबित है, जिसके कारण कर्मचारियों को प्रमोशन नहीं मिल पा रहा है, ऐसे में आगे तारीख नहीं दी जा सकती। सभी राज्य 2 सप्ताह में अपना पक्ष लिखित में पेश करें। 5 अक्टूबर से लगातार केंद्र और राज्य सरकार को आधा-आधा घंट अपना पक्ष रखने के लिए समय दिया जाएगा, जिसके बाद आज मंगलवार से सुनवाई शुरु हो गई है, संभावना जताई जा रही है कि 10 अक्टूबर तक फैसला आ सकता है।
दरअसल, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से केंद्र और राज्य सरकारों ने अधिकारियों- कर्मचारियों के ‘रिजर्वेशन इन प्रमोशन’ के मुद्दे पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी। इस मामले में देश भर से 133 याचिकाएं दाखिल की गई हैं, सभी याचिकाओं में राज्य के स्तर पर जटिल समस्याओं और आरक्षण की कठिनाईयों को उठाया गया है। इस पर जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की 3 सदस्यीय बेंच ने सुनवाई कर रहे है।पिछली सुनवाई में 2 हफ्ते का समय दिया गया था और लिखित में जवाब पेश करने को कहा गया था कि प्रत्येक राज्य को अंतिम रूप देना है कि वे इसे कैसे लागू करेंगे। इसको लेकर आज 5 अक्टूबर से राज्यवार सुनवाई की जाएगी, इसके बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा।
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गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में हाईकोर्ट जबलपुर द्वारा मध्य प्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2002 (Madhya Pradesh Public Service Promotion Rules 2002) को निरस्त किए जाने की वजह से वर्ष 2016 से पदोन्नति है। वही हाईकोर्ट के इस फैसले को मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर अबतक फैसला नहीं आया है। हालांकि, कर्मचारियों (Government Employee) की नाराजगी को देखते हुए पदोन्नति के विकल्प के तौर पर उच्च पदों का प्रभार देने की शुरुआत गृह विभाग में की गई है।
वही पदोन्नति के नियम के लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने विधि विभाग सहित वरिष्ठ अधिकारियों से विचार-विमर्श करने के बाद नए नियमों का प्रारूप तैयार किया है, जिसे कैबिनेट बैठक (Shivra Cabinet Meeting) में जल्द प्रस्तुत किया जाएगा। शिवराज सरकार ने भविष्य में पदोन्नति को लेकर रणनीति बनाने के लिए मंत्री समूह का भी गठन किया है, जिसमें मंत्रियों द्वारा लगातार बैठकें कर समाधान निकालने की कोशिश की जा रही है।