भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार (MP Shivraj Government) बड़ी तैयारी में है।जल्द सभी जिलों में मनरेगा लोकपाल (MGNREGA ombudsman )नियुक्त किए जाएंगे, जो मनरेगा से जुड़ी सभी शिकायतों की सुनवाई करेंगे।लोकपाल का कार्यकाल दो वर्ष का रहेगा, जिसे दो बार एक-एक वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकेगा।इसके लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने तैयारियां शुरू कर दिए है। वही लोकपाल सुनवाई के बाद शिकायत सही पाए जाने पर अंतिम जांच रिपोर्ट सरकार को भी सौंपी जाएगी।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मप्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (लोकपाल की नियुक्ति, शक्ति यां एवं कर्तव्य) नियम 2021 लागू किए हैं।इसके तहत लोक प्रशासन, विधि, अकादमिक, सामाजिक कार्य या प्रबंधन के क्षेत्र में कम से कम 10 साल के अनुभव वाले को लोकपाल नियुक्त किया जाएगा। हालांकि इसमें स्थानीय व्यक्ति या पड़ोसी जिले के व्यक्ति को प्राथमिकता दी जाएगी। वही अंतिम चयन पैनल में से किया जाएगा और इसका आम जनता से फीडबैक भी लिया जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये लोकपाल मजदूरी भुगतान, बेरोजगार भत्ते के भुगतान, काम की मांग, कार्य की गुणवत्ता, मशीनों के उपयोग, ठेकेदारों से काम लेने आदि शिकायतों पर सुनवाई का काम करेंगे और शिकायत सही पाए जाने पर कार्रवाई करने के लिए संबंधी को निर्देशित किया जाएगा और 15 दिन में इसका समाधान करना होगा।इसके तहत लोकपाल को किसी व्यक्ति को समन देने, शपथ पत्र पर साक्ष्य लेने, दस्तावेज प्रस्तुत करने, मौके पर जांच करने के निर्देश देने के अधिकार भी सौंपे जाएंगे।जांच के बाद वे रिपोर्ट सरकार को सौंप सकते है और अनुशासनात्मक या दंडात्मक कार्रवाई की सिफारिश भी कर सकते है।
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बता दे कि पिछले महीने केंद्र सरकार ने साफ कहा था कि जिन राज्यों में 80 फीसदी जिलों में मनरेगा लोकपाल नियुक्त नहीं किए जाएंगे, उन्हें अगले वित्त वर्ष से रोजगार गारंटी योजना मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के लिए राशि नहीं मिलेगी।ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा ने कहा था कि आदर्श तौर पर राज्यों को सभी जिलों में लोकपाल नियुक्त करने चाहिए।
फरवरी में दी गई केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर जानकारी के अनुसार, गुजरात, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, तेलंगाना, पुडुचेरी, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, दादरा एवं नगर हवेली जैसे प्रदेशों ने 1 भी लोकपाल नियुक्त नहीं किया है।वही राजस्थान-पश्चिम बंगाल और हरियाणा में केवल 4-4 और पंजाब में 7 जिलों में लोकपाल की नियुक्ति की गई है।