पीसी शर्मा का बडा आरोप- ईस्ट इंडिया कंपनी की तर्ज पर किसानों को खरीद रही BJP

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (MP) में 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव (By-election) से पहले BJP उम्मीदवारों की वायरल वीडियो को कांग्रेस ट्रम्प कार्ड (Trump card) की तरह इस्तेमाल कर रही है। कांग्रेस किसी भी सूरत में इस मौके को भुनाने से चूक नहीं रही है। पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा (PC Sharma) ने केंद्र की बीजेपी सरकार को किसान (Farmers) विरोधी बताते हुए कहा कि जो एनडीए (NDA) का घटक था अकाली दल और शिवसेना (Shiv Sena) सब बाहर हो गए। धीरे धीरे सब बाहर हो रहे हैं, इसका मतलब है कि भाजपा किसान विरोधी है। किसान अपने खेत के अंदर बंधुआ बन जाएगा। अडानी और अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए यह सब किया जा रहा है। ईस्ट इंडिया कंपनी की तर्ज पर यह किसानों को खरीद रहे हैं।

शिवराज सरकार (Shivraj government) को घेरते हुए पीसी शर्मा ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सराकर बार-बार झूठ बोल रही है, फसल बीमा का पैसा कमलनाथ जी के समय जमा हुआ था।इसमें इस सरकार का कोई रोल नहीं है, क्योंकि इस सरकार के पास पैसा है नहीं। हर महीने 1000 करोड़ का लोन ले रहे हैं और भ्रष्टाचार करके उस पैसे को निपटा देते हैं। भाजपा के वचन पत्र पर तंज कसते हुए पीसी शर्मा ने कहा कि भाजपा केवल झूठ पत्र लेकर आती है 15 सालों में जितनी भी बातें कहीं एक भी पूरी नहीं हुई। जो रोज ट्रांसफर पोस्टिंग हो रही है इस पर भी चुनाव आयोग को रोक लगाना चाहिए।भोपाल के मंत्रालय पर भी चुनाव आयोग को आचार संहिता लगा देना , क्योंकि यहां से पूरे मध्यप्रदेश में ट्रांसफर हो रहे हैं।

वायरल वीडियो को संज्ञान में ले आयोग

पूर्व मंत्री पीसी शर्मा (PC Sharma) ने मंगलवार को कहा कि चुनाव आयोग को खुद वायरल वीडियो (Viral Video) मामले में संज्ञान लेना चाहिये। हम भी इन सब की जानकारी चुनाव आयोग को देंगे। उन्होंने कहा कि हर दिन न्यूज़पेपर में आ रहा है, वीडियो में आ रहा है जिससे सब कुछ साफ है। वही खादय मंत्री बिसाहूलाल सिंह (Bisahulal Singh) के नोट बांटने वाली वायरल वीडियो पर तंज कसते हुए पीसी शर्मा ने कहा की सो-सो के नोटों की गड्डी से नोट बांट रहे हैं ऐसा लगता है जैसे इनकी अब दूसरी किस्त आ गई है, इसलिए वह नोट बांट रहे हैं, एक अनुमान और है कि इनके पास 1000 के पुराने नकली नोट भी हो सकते है वह भी बांट सकते हैं।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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