जनजातीय गौरव दिवस: पीएम मोदी बोले- आदिवासी शिक्षित, हमें सीखना बाकी है

Pooja Khodani
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पीएम मोदी

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने जनजातीय गौरव समारोह के दौरान आदिवासी समाज की जमकर तारीफ की और कहा कि सच तो यही है कि देश के आदिवासी (Tribes) शिक्षित है और हमें सीखना बाकी है। पीएम नरेंद्र मोदी ने भोपाल के जंबूरी मैदान में आयोजित जनजाति गौरव समारोह में आदिवासी समाज की प्रशंसा की।

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उन्होंने आदिवासी समाज द्वारा प्रस्तुत किए गए एक नृत्य गीत उदाहरण देते हुए बताया किस तरह से जिंदगी का मर्म आदिवासियों ने इसके माध्यम से समझाया है। ‘जिंदगी चार दिन की है और सब कुछ क्षणभंगुर है। यही छोड़कर जाना है।’ जिंदगी का यही सत्य आदिवासियों ने हम सबको समझाया है। ऐसी समृद्ध सोच वाले आदिवासियों से हमारा देश गौरवान्वित है।

पीएम मोदी ने बताया कि स्वतंत्रता के बाद देश का पहला जनजातीय समारोह यहां मनाया जा रहा है। यह समाज के लिए और हमारे सब के लिए सम्मान की बात है। मोदी ने इस अवसर पर शिवराज सरकार द्वारा आदिवासी समाज के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का उल्लेख किया और उनकी भी जमकर तारीफ की।

पीएम मोदी ने वैक्सीनेशन के लिए आदिवासियों की जागृति की भी जमकर तारीफ की और कहा कि वे सब समझते हैं कि वैक्सीनेशन के माध्यम से ही जिंदगी को सुरक्षित किया जा सकता है। विश्व की सबसे बड़ी महामारी से निपटने के लिए आदिवासी वर्ग के भाइयों बहनों का आगे बढ़ कर आना यह सचमुच गौरवपूर्ण है। इसके पहले मोदी ने मध्य प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई 14 विभिन्न योजनाओं का शुभारंभ किया और इसके साथ ही कई हितग्राहियों को के माध्यम से लाभान्वित किया।

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मोदी ने कहा कि भगवान श्री राम के जीवन में बिना आदिवासी जनजाति के सहयोग के सफलता की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। मोदी ने कहा कि देश के आदिवासियों को लेकर पूर्व की सरकारों ने जो अपराध किया है उस पर लगातार बोला जाना जरूरी है। पूर्ववर्ती सरकारों ने आदिवासियों को केवल चुनाव के समय याद किया और बाकी समय इस समाज को असहाय छोड़ दिया।देश के विकास के लिए काम करने वाले आदिवासी ही हमारे असल हीरो हैं। यही हमारे डायमंड में यही हमारे हीरे हैं


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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