Priyanka Gandhi Mandla Visit : प्रियंका गांधी 12 अक्टूबर को मंडला आ रही हैं। दोपहर 12 बजे वे यहां एक जनसभा को संबोधित करेंगीं। मध्य प्रदेश में आचार संहिता लगने के बाद ये उनका पहला चुनावी दौरा होगा। इससे पहले वो 5 अक्टूबर को धार पहुंचीं थी। महाकौशल में 2018 के चुनावों में कांग्रेस का दबदबा रहा और वो इसे दोहराना चाहती है। वहीं बीजेपी 2013 की स्थिति वापस चाहती हैं जहां उसने अधिक सीटों पर जीत हासिल की थी। इसीलिए दोनों ही पार्टियों की नजर आदिवासी वोटर्स पर है।
आदिवासी वोट साधने की कोशिश
मध्य प्रदेश में करीब 22 प्रतिशत आदिवासी वोटर्स हैं। ये एक बड़ा आंकड़ा है। एक दिन पहले ही शहडोल के ब्यौहारी पहुंचे राहुल गांधी ने लालकृष्ण आडवाणी का हवाला देते हुए मध्य प्रदेश को आरएसएस और बीजेपी की सच्ची लेबोरेटरी कहा। उन्होने कहा कि ‘यहां बीजेपी नेता आदिवासियों के ऊपर पेशाब करते हैं।’ इसी के साथ घोषणा की कि कांग्रेस के आने पर तेंदूपत्ता की मजदूरी बढ़ाकर 4 हजार की जाएगी। राहुल भी आचार संहिता लगने के बाद पहली बार विंध्य दौरे पर पहुंचे थे। यहां कांग्रेस को काफी मशक्कत की जरुरत लग रही है क्योंकि पिछली बार इलाके की 30 सीटों पर कांग्रेस को केवल 6 सीट मिली थी।
पिछली बार कांग्रेस को मिली थी 24 सीटें
लेकिन बात करें महाकौशल की तो पिछली बार कांग्रेस यहां बेहतर स्थिति में थी। उसने 38 में से 24 सीटों पर जीत हासिल की थी और बीजेपी को सिर्फ 13 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। एक सीट निर्दलीय को मिली थी। 2023 के चुनाव में भी महाकौशल में अपने पुराने प्रदर्शन को बरकरार रखने के दबाव के साथ ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने का लक्ष्य है और इस दृष्टि से प्रियंका गांधी का दौरा महत्वपूर्ण माना जा रहा है। महाकौशल में जबलपुर, कटनी, सिवनी, छिंदवाड़ा, मंडला, नरसिंहपुर, डिंडौरी और बालाघाट जिले शामिल हैं।
चौंकाने वाले रहे हैं महाकौशल के नतीजे
इस क्षेत्र के नतीजे हमेशा चौंकाने वाले रहे हैं। 2013 में यहां बीजेपी के पास 24 सीटें थी और कांग्रेस 13 पर थी, उस समय भी एक सीट निर्दलीय को मिली थी। लेकिन 2018 में समीकरण बदल गए। सीटों की संख्या वही रही मगर पार्टियां बदल गई। इसके पीछे आदिवासियों की बीजेपी से नाराजगी को वजह माना गया। यही कारण है कि इस बार बीजेपी भी आदिवासी वोटरों को लुभाने की हरसंभव कोशिश कर रही है। वहीं कांग्रेस और राहुल गांधी जातिगत जनगणना की घोषणा कर चुके हैं और इस आधार पर भी वो आदिवासी तथा अन्य कमजोर वर्ग के हिस्सेदारी की बात कर रहे हैं। देखना होगा कि इस बार महाकौशल की जनता का क्या फैसला होता है। फिलहाल तो प्रियंका गांधी का दौरा इस दृष्टि से बेहद अहम माना जा रहा है।