SAHARA: सहारा ऑफिस की तालाबंदी, दो दिन पहले जोनल हेड ने दिया था इस्तीफा

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। धोखाधड़ी के आरोपों में घिरी सहारा इंडिया कंपनी (Sahara India Company) के भोपाल ऑफिस में ताला डल गया है। दरअसल निवेशकों के आए दिन होने वाले प्रदर्शन और विरोध के चलते यहां कार्यरत अधिकारी-कर्मचारियों ने खुद को सुरक्षित करने के लिए ऑफिस को भीतर से बंद कर लिया है और किसी भी तरह की आवाजाही पर रोक लगा दी है।बुधवार की सुबह भोपाल के एमपी नगर जोन वन में स्थित सहारा इंडिया ऑफिस के मुख्य द्वार को बंद कर दिया गया।

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दरअसल, यह कार्रवाई खुद संस्था में कार्यरत अधिकारी-कर्मचारियों (Employees) ने खुद को सुरक्षित करने के लिए की। दो दिन पहले ही यहां डेढ़ सौ से ज्यादा निवेशकों (investors) और उनके एजेंटों ने धावा बोल दिया था और अपना पैसा वापस लौटाने की मांग कर रहे थे। निवेशकों के बढ़ते दबाव के चलते मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के जोनल हैड राजेन्द्र सक्सेना (Rajendra Saxena) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और इस्तीफे में साफ लिखा था कि वर्तमान परिस्थितियों में कार्य करना अब संभव नहीं है।

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इसके बाद भी निवेशकों का दबाब अभी भी कायम है और इस दवाब से बचने के लिए अधिकारी-कर्मचारियों ने अभी यह रास्ता निकाला है कि सुबह ऑफिस खुलते ही प्रवेश द्वार अंदर से बंद कर ले रहे हैं शाम को अवकाश समय ही बाहर निकलेंगे। ऐसी में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर निवेशकों का भुगतान कैसे होगा। अकेले भोपाल जिले की बात करें तो हजारों निवेशकों का लगभग 200 करोड़ पर से ज्यादा सहारा की विभिन्न सोसायटियों में निवेश है जो कंपनी परिपक्वता अवधि पूरी होने के बाद भी वापस नहीं लौट आ रही है। सहारा के मालिक सुब्रत (Sahara owner Subrata Roy) चौराहे पर 420 की धाराओं के मामले शतक पूरा करने पर है लेकिन कंपनी अभी भी निवेशकों के पैसे लौटाने के लिए गंभीर नहीं है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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