शिवराज सरकार का एक और बड़ा फैसला, अब मिलेगा 15 लाख का मुआवजा

Pooja Khodani
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शिवराज सरकार

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने नए साल में एक और बड़ा फैसला लिया है। राज्य सरकार ने स्वैच्छिक पुनर्स्थापन स्वीकार करने वाले प्रत्येक परिवार को अब 10 लाख की जगह 15 लाख का मुआवजा का फैसला लिया है।इसके पहले वर्ष 2008 से संरक्षित ग्रामों से विस्थापन के लिए मुआवजा राशि प्रति परिवार इकाई 10 लाख रूपए दी जाती थी।

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वन मंत्री डॉ. कुँवर विजय शाह ने राज्य शासन द्वारा लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए बताया है कि मध्य प्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों और टाईगर रिजर्वस कॉरीडोर क्षेत्र के ग्राम से स्वैच्छिक पुनर्स्थापन स्वीकार करने वाले परिवार इकाइयों को प्रति परिवार अब 15 लाख रूपए दिए जाने का प्रावधान किया गया है।  इसके पहले वर्ष 2008 से संरक्षित ग्रामों से विस्थापन के लिए मुआवजा राशि प्रति परिवार इकाई 10 लाख रूपए दी जाती थी।

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वन मंत्री डॉ. शाह ने बताया कि 13 साल की इस अवधि में समय के साथ इस राशि को पर्याप्त न मानकर राज्य ने विभिन्न औपचारिक और अनौपचारिक मंचों से इसे बढ़ाने के प्रस्ताव को ध्यान में रखकर केन्द्र सरकार से अनुरोध किया गया। प्रस्ताव पर भारत सरकार के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली ने प्रस्तावित मुआवजा राशि को अपनी मंजूरी दे दी। वन मंत्री ने बताया कि कैबिनेट बैठक की 7 दिसम्बर 2021 को हुई बैठक में पुनर्वास के लिए मुआवजा पैकेज में बढ़ोत्तरी सहित योजना क्र. 5109 की निरंतरता को अनुमोदित किया गया।

300 करोड़ रूपए का प्रावधान

वन मंत्री डॉ. शाह ने बताया कि वर्ष 2022-23 में पुनर्स्थापन के लिए 300 करोड़ रूपए का प्रावधान रखा गया है। इसमें कैम्पा मद से 285 करोड़ और योजना क्रमांक 5109 में पुनर्स्थापन के लिए 15 करोड़ रूपये स्वीकृत किए गए हैं। इस व्यवस्था के होने से संजय टाइगर रिजर्व नौरादेही अभयारण्य और रातापानी अभयारण्य के आस-पास रहने वाले परिवारों का पुनर्स्थापन हो सकेगा।

प्रोत्साहन मिलेगा

वन मंत्री ने बताया कि मुआवजा पैकेज में वृद्धि होने दुर्गम वन क्षेत्रों के भीतर बसे ग्रामीणों को पुनर्स्थापित होकर विकास की मुख्य-धारा से जुड़ने का प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही दुर्गम वन क्षेत्रों में मानवीय व्यवधान कम होने से मानव-वन्य-प्राणी द्वंद में भी कमी आएगी और वन्य-प्राणी संरक्षण और अधिक सुदृढ़ हो सकेगा। उन्होंने बताया कि ऐसे वन क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामवासियों ने स्वैच्छिक रूप से पुनर्स्थापित का विकल्प चुना, जिसमें 16 हजार परिवार इकाइयों को नवीन रहवास स्थलों में पुनर्स्थापित कराया जा चुका है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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