भोपाल।
केंद्रीय नेतृत्व के बेहद करीब माने जाने वाले और जबलपुर से कई बार के सांसद राकेश सिंह की दोबारा प्रदेशाध्यक्ष पद पर वापसी नहीं हो सकी। आखिर एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान अपनी मनमर्जी का प्रदेश अध्यक्ष बनवाने में कायम हो गए। राजनीतिक क्षेत्रों में वीडी शर्मा को शिवराज सिंह चौहान और संघ का बेहद नजदीकी माना जाता है और यह भी माना जाता है कि वह केंद्रीय नेतृत्व के सामने भी अपनी साफ-सुथरी छवि के कारण अच्छी खासी पहचान रखते हैं।
दरअसल राकेश सिंह प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद कुछ ऐसा करिश्मा नहीं कर पाए जो पार्टी के सामने उनकी उपलब्धि के रूप में पेश हो पाता। उन्हीं के कार्यकाल में पार्टी केवल 15 साल की सत्ता खो बैठी बल्कि छिंदवाड़ा और झाबुआ के उपचुनाव बिहार गई। लोकसभा चुनावों में 29 में से 28 सीटें लाना राकेश सिंह के खाते में नहीं गया बल्कि मोदी शाह के करिश्माई नेतृत्व का कमाल माना गया। राकेश सिंह के कार्यकाल में पार्टी के अंदर भी खराब दिखा और अलग-अलग क्षेत्रों के रूप में कभी शिवराज सिंह, कभी कैलाश विजयवर्गीय, कभी गोपाल भार्गव, कभी नरोत्तम मिश्रा और कभी खुद राकेश सिंह दिखे।
किसी भी मुद्दे पर एकजुटता ना होने का लाभ कमलनाथ की अल्पमति सरकार उठाती रही। जब दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बनने की बारी आई तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती शिवराज सिंह चौहान का विरोध था। और अंततोगत्वा पार्टी आलाकमान के सामने शिवराज यह बात सामने रखने में कायम रहे कि उनके कार्यकाल में जो पार्टी ने जिन ऊंचाइयों को छुआ, राकेश सिंह के कार्यकाल में वह धीरे-धीरे रसातल में जा रहा है और यही हालत रही तो कमलनाथ की सरकार कांग्रेस की जड़े मजबूत करती जाएगी। वीडी शर्मा की साफ-सुथरी छवि भी उन्हें चुनने के लिए महत्वपूर्ण रही।