आज विजयादशमी है। देशभर में उत्साह और उल्लास के साथ ये पर्व मनाया जा रहा है। असत्य पर सत्य, बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक विजयादशमी या दशहरा का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। मान्यतानुसार दशहरे के दिन ही भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी। नवरात्रि के बाद आज के दिन ही देवी प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है।
दशहरे की जुड़ी कथा
दशहरा पर्व के साथ कई कथाएं प्रचलित है। इस दिन को श्रीराम द्वारा लंकाधिराज रावण पर विजय के पर्व के रूप में मनाया जाता है। देशभर में रावण दहन होता है और लोग ये कामना करते हैं कि बुराई रुपी रावण का नाश हो और हम अच्छाई के प्रकाश की ओर बढ़ें। इसी के साथ प्राचीन हिंदू परंपरानुसार, ये दिन देवी दुर्गा की महान विजय के रूप में भी मनाया जाता है। यह कहानी महिषासुर नामक राक्षस के साथ जुड़ी है। कहानी के अनुसार, बहुत समय पहले की बात है, एक बहुत ही प्रबल राक्षस जिसका नाम ‘महिषासुर’ था, धरती पर अत्यधिक अत्याचार कर रहा था। उसे अपनी शक्ति का अत्यधिक अहंकार था और वो देवताओं को भी परेशान करता था। इसके बाद देवताओं ने अपनी रक्षा के लिए दुर्गा माँ से सहायता मांगी। देवताओं को बचाने के लिए मां दुर्गा महिषासुर के खिलाफ युद्ध के लिए निकलीं और उसका संहार किया। देवी दुर्गा की विजय को स्मरण करते हुए, लोग आपसी समरसता और शांति की कामना के साथ दशहरा पर्व मनाते हैं। यह उत्सव देवी दुर्गा की शक्ति और पराक्रम की विजय का प्रतीक है और यह भारतीय संस्कृति की महत्वपूर्ण परंपरा का हिस्सा है। इस दिन लोग देवी की पूजा और आराधना करते हैं, शस्त्र पूजा करते हैं और अपनी अपनी परंपरानुसार पर्व मनाते हैं।
पूजा का मुहूर्त और विधि
हिंदू पंचांग के अनुसार आज 23 अक्टूबर अश्विन शुक्ल दशमी तिथि को शाम 5 बजकर 44 मिनट से 24 अक्टूबर दोपहर 3 बजकर 14 मिनट तक शुभ मुहूर्त है। उदया तिथि के कारण 24 अक्टूबर को विजयादशमी मनाई जा रही है। दशहरा के दिन लोग शस्त्र पूजा करते हैं। आज शक्तिरूपा देवी और श्रीराम की आराधना की जाती है। अगर नवरात्रि में कलश की स्थापना की है तो आज कलश और नारियल हटा लें। कलश का जल पूरे घर में छिड़कें और नारियल का प्रसाद ग्रहण करें। नवरात्रि में जहां पूजन किया है वहां रात भर दीपक जलाएं। अगर आप शस्त्र पूजा करते हैं तो उनपर तिलक लगाकर रक्षा सूत्र बांधे और उनसे सभी की रक्षा करने की प्रार्थना करें।