आज विश्व बालश्रम निषेध दिवस है। बच्चों को श्रम के शोषण से मुक्त कराने और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए ये दिन मनाया जाता है। हमें याद रखना चाहिए कि दुनियाभर में करोड़ों बच्चे आज भी बचपन जीने की जगह मजदूरी की कालिख से जूझ रहे हैं और एक इंसान और सभ्य समाज के नाते हम सबका कर्तव्य है कि इसे दूर करने में अपनी क्षमताभर पूरा सहयोग करें।
सीएम डॉ मोहन यादव ने आज के दिन कहा है कि ‘बालश्रम का सभ्य समाज में कोई स्थान न हो, इस सामाजिक अपराध पर अंकुश लगे। प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि अभावग्रस्त बच्चों को उत्तम स्वास्थ्य, शिक्षा और समानता प्रदान करने के प्रयासों में सहभागी बने।’ उन्होंने आह्वान किया कि हम सब मिलकर बालश्रम मुक्त समाज बनाएं।
बालश्रम क्या है
जब 14 वर्ष से कम उम्र का बच्चा स्कूल जाने और अपने बचपन का आनंद लेने के बजाय काम करने के लिए मजबूर होता है तो ये बालश्रम कहलाता है। बालश्रम बच्चों की उम्र, शारीरिक और मानसिक क्षमता के लिए बहुत हानिकारक है और उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और विकास को नुकसान पहुँचाता है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार बालश्रम में वे सभी गतिविधियां शामिल हैं जो बच्चों को शिक्षा से वंचित करती हैं, उनके स्वास्थ्य को जोखिम में डालती हैं या उनके मानसिक और सामाजिक विकास को बाधित करती हैं।
विश्व बालश्रम निषेध दिवस का इतिहास और उद्देश्य
विश्व बालश्रम निषेध दिवस की शुरुआत 2002 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य बालश्रम के खिलाफ वैश्विक जागरूकता बढ़ाना और इसे समाप्त करने के लिए कार्रवाई को प्रोत्साहित करना था। विश्व बालश्रम निषेध दिवस का मुख्य जागरूकता फैलाना है। लोग बालश्रम के दुष्परिणामों और इसके कारणों को जानें ये जरूरी है। ये दिन सरकारों को बालश्रम विरोधी कानूनों को सख्ती से लागू करने और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है। व्यक्तियों, गैर-सरकारी संगठनों और काम कराने वालों को बालश्रम के खिलाफ एकजुट होने के लिए प्रोत्साहित करना।
इस दिवस का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह बच्चों को उनके बचपन, शिक्षा और सपनों को वापस लौटाने का अवसर प्रदान करता है। भारत जैसे देशों में, जहां 1.26 करोड़ से अधिक बच्चे बालश्रम में संलग्न हैं..ये दिन सामाजिक और आर्थिक सुधारों की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
क्या कहते हैं आंकड़े
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और यूनिसेफ की संयुक्त रिपोर्ट ने चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए हैं। 2024 में विश्व भर में 13.8 करोड़ (138 मिलियन) बच्चे बालश्रम के चंगुल में थे, जिनमें से 5.4 करोड़ (54 मिलियन) खतरनाक कार्यों में लगे थे, जो उनके स्वास्थ्य, सुरक्षा और विकास को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं। 13.8 करोड़ बच्चे यानी वैश्विक स्तर पर हर दसवां बच्चा बालश्रम में फंसा है। इनमें से 5.4 करोड़ बच्चे यानी कि कुल आंकड़े का 39% खतरनाक परिस्थितियों में काम कर रहे हैं जैसे खनन, रासायनिक उद्योग या भारी मशीनरी का उपयोग।
बालश्रम क्यों है खतरनाक
बालश्रम बच्चों के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए हानिकारक है। बचपन स्कूल और खेल के मैदानों के लिए होता है। लेकिन स्कूल जाने के बजाय काम करने वाले बच्चे अशिक्षित रह जाते हैं, जिससे गरीबी का चक्र और गहरा होता है। कम उम्र में भारी काम करने से बच्चों की हड्डियां कमजोर हो सकती हैं और खतरनाक मशीनों या रसायनों के संपर्क में आने से गंभीर चोटें या बीमारियां हो सकती हैं। बालश्रम बच्चों को तनाव, अवसाद और आत्मविश्वास की कमी का शिकार बनाता है। वे अपने सपनों को पूरा करने के अवसर खो देते हैं।
बचपन कैसा होना चाहिए
बचपन जीवन का सबसे अनमोल समय है जो खेल, शिक्षा, उम्मीद और सपनों से भरा होना चाहिए। दुनिया में हर बच्चे को सबसे पहले स्कूल जाने का अधिकार मिलना चाहिए। इसी के साथ उन्हें खेलने का समय मिलना चाहिए, जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जरूरी है। बच्चों को चिकित्सा सुविधाएं और पौष्टिक भोजन मिलना चाहिए। उनको बिना भेदभाव के सम्मान और समान अवसर मिलने चाहिए। हर बच्चे को प्यार, देखभाल और हिंसा या शोषण से मुक्त वातावरण में बड़ा होने का हक है। उन्हें अपने भविष्य के लिए सपने देखने और उन्हें पूरा करने के लिए प्रोत्साहन मिलना चाहिए।
विश्व बालश्रम निषेध दिवस प्रेरित करता है कि सभ्य समाज में इसके लिए कोई स्थान न हो, इस सामाजिक अपराध पर अंकुश लगे।
प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि अभावग्रस्त बच्चों को उत्तम स्वास्थ्य, शिक्षा और समानता प्रदान करने के प्रयासों में सहभागी बने। आइए, बालश्रम मुक्त समाज बनाएं। pic.twitter.com/EsjoLfoKUg
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) June 12, 2025





