Alice in Wonderland Syndrome : क्या आपने कभी ऐसा महसूस किया कि आपका शरीर अचानक बहुत छोटा या बहुत बड़ा हो गया है? या फिर समय इतना धीमा हो गया कि हर सेकंड एक अनंत काल जैसा लगे? अगर ऐसा महसूस किया है तो ये कोई जादुई कहानी नहीं, बल्कि एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल स्थिति है।
इस स्थिति को है जिसे ‘एलिस इन वंडरलैंड सिंड्रोम’ (AIWS) कहा जाता है। लुईस कैरोल की मशहूर किताब एलिस इन वंडरलैंड से प्रेरित इस सिंड्रोम का नाम भले ही सपनीला लगे..लेकिन यह एक गंभीर चिकित्सीय स्थिति है जो मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को प्रभावित करती है।
क्या है एलिस इन वंडरलैंड सिंड्रोम
एलिस इन वंडरलैंड सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति की वास्तविकता की धारणा बदल जाती है। रोगी को अपने शरीर, आसपास की वस्तुओं, या समय का आकार और अनुपात असामान्य लग सकता है। जैसे कि इससे पीड़ित व्यक्ति को अपनी उंगलियां बहुत बड़ी या छोटी दिख सकती हैं। कमरे की दीवारें पास या दूर होती हुई महसूस हो सकती हैं। समय या तो बहुत तेजी से या बहुत धीमी गति से चलता हुआ महसूस हो सकता है। ये लक्षण अक्सर कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों तक रहते हैं और मस्तिष्क के दृश्य और संवेदी प्रसंस्करण क्षेत्रों में असामान्य गतिविधि के कारण होते हैं।
क्या है इस नाम के पीछे की कहानी
इस सिंड्रोम का नाम एलिस इन वंडरलैंड लुईस कैरोल की इसी नाम की किताब के कारण पड़ा है। इसमें एलिस नाम की एक लड़की की कहानी है, जो एक ऐसी दुनिया में प्रवेश करती है जहां उसका आकार बार-बार बदलता है। कभी वह छोटी हो जाती है, कभी विशाल। AIWS के रोगियों के अनुभव इस काल्पनिक कहानी से मिलते-जुलते हैं जिस कारण 1955 में ब्रिटिश मनोचिकित्सक जॉन टॉड ने इस स्थिति को यह नाम दिया।
AIWS के संभावित कारण
वैज्ञानिकों का मानना है कि एलिस इन वंडरलैंड सिंड्रोम कई कारणों से हो सकता है, इनमें से कुछ कारण इस प्रकार हैं:
- माइग्रेन: विशेष रूप से बच्चों और किशोरों में माइग्रेन के साथ AIWS के लक्षण आम हैं।
- मिर्गी: मस्तिष्क में असामान्य विद्युत गतिविधि इसके लक्षणों को ट्रिगर कर सकती है।
- संक्रमण: जैसे कि एपस्टीन-बार वायरस (EBV) से होने वाला मोनोन्यूक्लिओसिस।
- अन्य कारण: स्ट्रोक, मस्तिष्क की चोट या कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव भी इसका कारण बन सकते हैं।
इसका उपचार
इस सिंड्रोम का पता लगाने के लिए डॉक्टर आमतौर पर मरीज के लक्षण, उसका इतिहास, न्यूरोलॉजिकल परीक्षण और कभी-कभी एमआरआई या ईईजी जैसे टेस्ट का सहारा लेते हैं। इसका उपचार कारणों के आधार पर अलग अलग मरीजों के लिए अलग हो सकता है। जैसे यदि ये समस्या माइग्रेन के कारण हो रही है तो माइग्रेन की दवाएं दी जा सकती हैं। मिर्गी से संबंधित मामलों में एंटी-सीजर जैसी दवाएं प्रभावी हो सकती हैं। पर्याप्त नींद, तनाव प्रबंधन, और स्वस्थ जीवनशैली भी लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है। यदि आपको या आपके किसी परिचित को ऐसे असामान्य लक्षण दिखाई दें तो तुरंत किसी न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करें।
(डिस्क्लेमर : ये लेख विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं। चिकित्सकीय परामर्श आवश्यक।)





